
who worship of lord shiva here - no one be knows
देश के तकरीबन हर शहर में आपको भगवान शिव के मंदिर मिल जाएंगे। वहीं कई शिव मंदिरों का राज आज तक सामने नहीं आया है। ऐसे ही चंद रहस्यमयी शिव मंदिरों में से एक शिव मंदिर मध्यप्रदेश के चंबल में भी है।
दरअसल पहाडग़ढ़ (मुरैना) से 15 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच स्थित ईश्वरा महादेव की सुबह होने वाली पूजा सैकड़ों वर्ष बाद भी रहस्य बनी हुई है। लगभग एक हजार वर्ष पूर्व जंगलों में प्राकृतिक झरने के नीचे बिराजमान ईश्वरा महादेव का पता चला। बताया जाता है कि महादेव की पूजा सुबह साढ़े तीन से चार बजे के बीच कोई देवीय शक्ति करती है। लोगों को सुबह महादेव पर बेलपत्र और चंदन लगा हुआ मिलता है। ये पूजा जब से मंदिर का पता चला है तभी से लगातार जारी है।
रात में यहां नहीं ठहरता कोई
पहाडग़ढ़ क्षेत्र में स्थित ईश्वरा महादेव की दूर-दूर तक ख्याति है। यहां आम दिनों में भी कुछ भक्त भोलेनाथ ही पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं, लेकिन सावन माह में प्रति सोमवार को खासी भीड़ भगवान शंकर की पूजा करने पहुंचती है। पूरी तरह से प्राकृतिक परिवेश में विराजमान भगवान ईश्वरा महादेव पर कोई मंदिर का निर्माण नहीं किया गया है। इसकी वजह से यहां रात के समय कोई संत या साधु भी नहीं ठहरता।
बेहोश हो गए थे यहां सैनिक
कहा जाता है मंदिर में होने वाली पूजा के बारे में पता चलने पर तत्कालीन पहाडग़ढ़ के राजा पंचम सिंह ने ईश्वरा महादेव पर सुबह होने वाली पूजा का रहस्य जानने के लिए पूरी रात अपने सैनिकों को पहरे पर रखा, लेकिन रात तीन बजते ही सभी सैनिक अचानक से मूर्छित हो गए। सुबह होने पर राजा पंचम सिंह पहुंचे तो उन्हें सैनिक मूर्छित अवस्था में मिले और ईश्वरा महादेव पर बेलपत्र और चंदन लगा हुआ था। इसके बाद कभी किसी ने इस रहस्य को जानने का प्रयास नहीं किया।
यह है खासियत : 21 मुखीबेल पत्र तक मिलते हैं यहां
यहां की खासियत यह है कि महादेव पर चढ़ाने के लिए तीन मुखी बेलपत्र से लेकर 21 मुखीबेल पत्र तक यहां मिलते हैं, जो शायद ही कहीं मिलते हों। आम दिनों में सांप ईश्वरा महादेव के ओर पास पहरा देते हैं, यहां पहुंचने वालों को यह कई बार दिखाई भी देते हैं।
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Published on:
10 May 2020 04:14 pm
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