9 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दिन में दो बार गायब होता है भगवान शिव का यह मंदिर, कार्तिकेय नें स्वयं बनवाया था शिवालय

दिन में दो बार गायब होता है भगवान शिव का यह मंदिर, कार्तिकेय नें स्वयं बनवाया था शिवालय

2 min read
Google source verification

image

Tanvi Sharma

Jul 15, 2018

stambheshwar mandir

दिन में दो बार गायब होता है भगवान शिव का यह मंदिर, कार्तिकेय नें स्वयं बनवाया था शिवालय

भगवान शिव के कई मंदिरों के दर्शन आपने किए होंगे लेकिन आपको आज शिव जी के ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जिसके बारे में जानकर आपकों हैरानी होगी जी हां हम भगवान शिव का यह मंदिर दिन में दो बार गायब हो जाता है। अपनी इसी खासियत की वजह से ये मंदिर भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां आने वाले भक्त हर दिन इस मंदिर को गायब होते देखते हैं। यह मंदिर गुजरात के वड़ोदरा से कुछ दूरी पर जंबूसर तहसील के कावी कंबोई गांव में स्तंभेश्वर महादेव मंदिर नाम से स्थित है। इस अद्भुत स्तंभेश्वर महादेव मंदिर को गायब मंदिर नाम से भी जाना जाता है।

इसलिए गायब हो जाता है मंदिर

हांलाकी आंखों के सामने से गायब होने के कुछ समय बाद ही ये मंदिर अपने स्थान पर नजर आने लगता है। वैसे यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि प्रकृति की एक मनोहारी परिघटना है। समुद्र किनारे मंदिर होने की वजह से जब भी ज्वार-भाटा उठता है, तब पूरा मंदिर समुद्र में समा जाता है। यही वजह है कि लोग मंदिर के दर्शन तभी तक कर सकते हैं, जब समुद्र में ज्वार कम हो। ऐसा बरसों से होता आ रहा है यह आज की बात नहीं है। ज्वार के समय समुद्र का पानी मंदिर के अंदर आता है और शिवलिंग का अभिषेक कर वापस लौट जाता है। यह घटना प्रतिदिन सुबह और शाम को घटित होती है। अरब सागर के मध्य कैम्बे तट पर स्थित मंदिर में सागर में सामने से इस मंदिर को देखने के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

ऐसे हुआ मंदिर का निर्माण,जानें स्कंदपुराण के अनुसार कथा

स्कंदपुराण के अनुसार इस मंदिर का निर्माण कैसे किया गया या इसकी उत्पत्ति कैसे हुई इस कथा के अनुसार बताते हैं। राक्षक ताड़कासुर ने अपनी कठोर तपस्या से शिव को प्रसन्न कर लिया था। जब शिव उसके सामने प्रकट हुए तो उसने वरदान मांगा कि उसे सिर्फ शिव जी का पुत्र ही मार सकेगा और वह भी छह दिन की आयु का। शिव ने उसे यह वरदान दे दिया था। वरदान मिलते ही ताड़कासुर ने हाहाकार मचाना शुरू कर दिया। देवताओं और ऋषि-मुनियों को आतंकित कर दिया। अंतत: देवता महादेव की शरण में पहुंचे। शिव-शक्ति से श्वेत पर्वत के कुंड में उत्पन्न हुए शिव पुत्र कार्तिकेय के 6 मस्तिष्क, चार आंख, बारह हाथ थे। कार्तिकेय ने ही मात्र 6 दिन की आयु में ताड़कासुर का वध किया।

जब कार्तिकेय को पता चला कि ताड़कासुर भगवान शंकर का भक्त था, तो वे काफी व्यथित हुए। फिर भगवान विष्णु ने कार्तिकेय से कहा कि वे वधस्थल पर शिवालय बनवा दें। इससे उनका मन शांत होगा। भगवान कार्तिकेय ने ऐसा ही किया। फिर सभी देवताओं ने मिलकर महिसागर संगम तीर्थ पर विश्वनंदक स्तंभ की स्थापना की, जिसे आज स्तंभेश्वर तीर्थ के नाम से जाना जाता है।