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डेढ़ करोड़ के काम के बाद भी नही बदली बल्देवगढ़ किले की हालत

निजी निवेशकों को देनी की तैयारी

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Baldevgarh fort is not on the Archeology and Administration attention

Baldevgarh fort is not on the Archeology and Administration attention

टीकमगढ़.प्रदेश सरकार बल्देवगढ़ के ऐतिहासिक किले को निजी निवेशकों को देनी की तैयारी कर रही है। दिल्ली के लाल किले की तर्ज पर प्रदेश की 16 हेरिटेज संपत्तियों को निजी निवेशकों को दिया जाना है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि खण्डर में तब्दील हो रहे इस किले को लेने में कौन सा निवेशक रूचि दिखाएगा। विदित हो कि इस किले में पर्यटन विभाग द्वारा पिछले एक वर्ष में लगभग डेढ़ करोड़ रूपए का काम कराया है, लेकिन इसकी हालत जस की तस बनी हुई है।
प्राचीन ऐतिहासिक इमारतें, किले और पर्यटन जिले की खास पहचान बना हुआ है। जिले में वर्तमान में अनेक ऐसे ऐतिहासिक स्थल और इमारतें है, जो आज भी संरक्षण एवं पर्यटन विभाग की अनदेखी के चलते धूल खा रहे है। ऐसे ही भवनों में बल्देवगढ़ का विशाल एवं ऐतिहासिक किला भी एक है। राजशाही दौर में जिले की सुरक्षा एवं राजनैतिक गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र रहा यह किला वर्तमान में अपने वैभव को खोता जा रहा है। वर्षों से उपेक्षित पड़े इस किले की लगभग एक वर्ष पूर्व पर्यटन विभाग द्वारा सुध ली गई है।
केवल दरवाजों का हुआ रंगरोगन: पर्यटन विभाग द्वारा इस किले में पिछले एक वर्ष में 1 करोड़ 64 लाख रूपए का काम कराया गया है। किले के पहले परकोटा(द्वार) बसस्टैंड के सामने एवं दूसरे परकोटा टीकमगढ़ मार्ग पर काम हुआ है। इसके साथ ही किले के मुख्य आंगन के दरवाजे एवं अंदर के सुरक्षित कमरों में भी काम कराया गया है। शेष किले में कोई काम नही हुआ है।
दीवालों से दरक रहा बेवसी: इस ऐतिहासिक किले में डेढ़ करोड़ रूपए का काम होने के बाद भी इसकी बेवसी दीवालों से दरक रही है। किले के पीछे भाग में जहां अब भी खण्डर का मलबा पड़ा हुआ है, वहीं इसके कई बुर्ज भी टूटे पड़े हुए है। किले की मुख्य दीवाल पर बने कंगूरों में भी मलबा भरा पड़ा हुआ है। इसके साथ ही किले की मुख्य पहचान रानी की बावरी, तालाब की बधान पर बना आश्रम और किले की सुरक्षा के लिए सबसे ऊंचाई पर बनाया गया आला मुण्डा अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा है। इस पर विभाग का कोई ध्यान नही है।


निजी निवेशकों को सौंपने की तैयारी: विदित हो कि सरकार प्रदेश की 16 हेरिटेज संपत्तियों को निजी निवेशकों को सौंपने की तैयारी कर रही है। पर्यटन विभाग दतिया के राजगढ़ पैलेस, भोपाल के बेनजीर पैलेस और सतना के माधवगढ़ किले को इसी साल निजी निवेशकों को सौंप देगा। इसके साथ ही प्रदेश में बल्देवगढ़ के किले के साथ ही सागर का राहतगढ़ फोर्ट, पन्ना का महेन्द्र भवन, धार में लुनेरा की सराय, बड़वानी का कलेक्ट्रेट भवन, जबलपुर का रॉयल होटल, कटनी का वियजराघवगढ़ फोर्ट, मंडला का रामनगर फोर्ट, रीवा का क्योटी फोर्ट, उज्जैन का कोठी महज, ग्वालियर का मोती महल और गवर्मेंट प्रेस भवन, शिवपुरी का नरवर फोर्ट, श्योपुर का श्योपुर फोर्ट, गुना का बजरंग फोर्ट एवं मुरैना के सबलपगढ़ फोर्ट को निजी निवेशकों को सौंपने की तैयारी है।
ओरछा से जोडऩा होगा शेष जिला: विदित हो कि जिले में पर्यटन के महात्व की अनेक धरोहरें उपेक्षित पड़ी हुई है। वर्तमान में जिले में पर्यटन का मुख्य केन्द्र ओरछा है। वर्षों से यहां पर देश-विदेश से लाखों पर्यटक आते है। लेकिन वह ओरछा भ्रमण कर वापस चले जाते है। यदि सरकार और प्रशासन इन पर्यटकों को ओरछा के आगे जिले में ला पाए तो यह जिले के विकास और पर्यटन से जुड़े रोजगार के लिए मील का पत्थर साबित होगा। विदित हो कि इतने वर्षों में इसके लिए शासन और प्रशासन द्वारा कोई प्रयास नही किए गए है।