MP News : एक तरफ जहां देशभर में कई राजनेता और धर्म गुरु लोगों से एक होने की अपील कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ आधुनिकता के इस दौर में आज भी देश के कई इलाकों में पिछड़ी जनजाति के लोगों पर सामंतवाद हावी है। जात पात के धागों में बंधे छोटी जाति के लोग रीति-रिवाज के हिसाब अपना साना्य जीवन तो छोड़िए विवाह तक नहीं कर पाते। अगर वो ऐसा करने की हिम्मत करते भी हैं तो उन्हें ऊपर बैठी जातियों की प्रताड़ना क शिकार तक होना पड़ता है। उन्हें धमकियां तक दी जाती है। इसका जीता जागता उदाहरण सामने आया है, मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से, जहां एक दलित परिवार के दूल्हा को घोड़ी चढ़ाने और वैवाहिक रस्में अदा कराने के लिए पुलिस तैनात करनी पड़ी।
दरअसल, टीकमगढ़ जिले के अंतर्गत आने वाले हटा गांव में बीते रोज एक दलित परिवार में विवाह होना था। यहां स्य़ानीय परंपरा के अनुसार, दूल्हे को रछवाई (राछ) फिरना होता है। इस रस्म के तहत दूल्हा को शादी से पहले घोड़ी पर बैठकर पूरे गांव में घूमना होता है। इस रस्म को पूरा करने के बाद दूल्हा के रिश्तेदार और समाज के लोग टीका कर उसे सम्मान स्वरूप उपहार देते हैं। लेकिन बुंदेलखंड में सामंतशाही के चलते आज भी ग्रामीण अंचलों में दलित समाज का दूल्हा विवाह के दौरान घोड़ी पर चढ़कर गांव में नहीं घूम सकता।
ऐसे में विवाद से बचते हुए वैवाहिक रस्में पूरी करने के लिए दूल्हे के परिवार वालों को शादी की खुशी को बनाए रखने के लिए पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगानी पड़ी। आवेदन मिलने पर पुलिस के अधिकारियों ने पहले गांव में जाकर लोगों को समझाइश दी। साथ ही रस्म अदाएगी के दिन भी किसी अप्रीय घटना से बचने के लिए सब इंस्पेक्टर की निगरानी में दूल्हे को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था दी गई। इसके बाद दूल्हा घोड़ी में बैठकर पूरे गांव में घूमा और बिना किसी विवाद के राछ की रस्म पूरी की गई।
दरअसल, गांव में पहले भी तरह के मौकों पर विवाद के मामले सामने आ चुके हैं। गांव में रहने वाले सामंती प्रवृत्ति के लोग दलित समाज की इस रस्म का विरोध कर चुके हैं। इन्हीं विवादों से बचने के लिए भयभीत जितेन्द्र अहिरवार ने घटना से सबक लेते हुए अपने विवाह में राछ फिरने की रस्म अदा होने के पहले ही बल्देवगढ़ थाने में एक आवेदन देकर सुरक्षा की मांग की थी।
Updated on:
20 Nov 2024 01:09 pm
Published on:
20 Nov 2024 01:07 pm