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मक्के की फसल से अच्छी आय ले रहा महेश

बुंदेलखंड के इस पिछड़े क्षेत्र में ज्यादातर लोगों की जीविका खेती किसानी ही है। कुछ किसान पारम्परिक खेती कर रहे हैं तो कुछ अपनी आय को बढ़ाने के लिए कुछ न कुछ नया प्रयोग करते रहते हैं।

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 Mahesh is getting good income from maize crop

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टीकमगढ़. बुंदेलखंड के इस पिछड़े क्षेत्र में ज्यादातर लोगों की जीविका खेती किसानी ही है। कुछ किसान पारम्परिक खेती कर रहे हैं तो कुछ अपनी आय को बढ़ाने के लिए कुछ न कुछ नया प्रयोग करते रहते हैं। अभी भी ज्यादातर लोग खरीफ और रबी की फसल ही अपने खेतों में करते हैं। वहीं कुछ लोग सब्जी की खेती कर अपनी आय बढ़ा रहे हैं। वहीं कुछ ऐसे किसान भी हैं जो मोटे अनाज की पैदावार कर अपनी आय में इजाफा कर रहे हैं। मोटे अनाज में मक्का की खेती किसान के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। बाजार में इसका अच्छा भाव मिलने से किसान खुश हैं।
ग्राम पंचायत बम्हौरीकलां में जतार-मऊरानीपुर मुख्य मार्ग पर जरया तिगेला के पास किसान महेश अहिरवार के खेतों में मक्के की फसल लहलहा रही है। किसान ने बताया कि आम तौर पर यहा के किसान अपने खेतों में गेहूं, चना, मटर, मसूर, सरसों तथा खरीफ के मौसम में मूंगफली, मूंग, उड़द, ज्वार, सोयाबीन आदि की खेती करते हैं। कुछ किसान शौक के तौर पर ही मक्के की खेती करते हैं। लेकिन हमने मक्के की खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए गर्मी के इस मौसम में तैयार किया है ताकि बाजार में अच्छा भाव मिल सके। इन दिनों नजदीकी मंडी मऊरानीपुर में थोक मंडी में मक्के की फसल की ४० रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बिक रहा है। उन्होंने बताया कि भीषण गर्मी में इन दिनों मक्के की फसल को प्रतिदिन पानी देना पड़ रहा है। महेश ने बताया कि मक्के के अलावा सब्जी की खेती भी की है, जिससे नियमित आय हो रही है।

गोबर खाद का ही उपयोग
किसान महेश अहिरवार ने बताया कि मक्के की फसल तैयार करने में रासायनिक खाद डीएपी व यूरिया के बजाय गोबर खाद ही डाला गया था। फ सल तैयार हुई तो इसमें फिर गोबर खाद डाला गया। गोबर खाद का ही असर है कि आज दो बीघा जमीन में मक्के की फसल लहलहा रही है। उन्होंने बताया कि पिता राजनीति में रहे हैं, ग्राम पंचायत बम्होरी कलां के पूर्व सरपंच श्याम लाल अहिरवार की प्रेरणा से वह खेती को लाभ का धंधा बना रहे हैं। अन्य किसानों को भी खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए तरकीब बताई जा रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देसी खाद का उपयोग कर अच्छी फसल तैयार की जा सकती है। उन्होंने बताया कि जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए खेत के चारों ओर फेंसिंग जाली लगाई गई है। उन्होंने बताया कि खेतों में फेंसिंग नहीं होने से नीलगाय फसलों को चौपट कर देते हैं। फेंसिंग के बावजूद फसलों की रखवाली के लिए दिन-रात खेत पर ही रहना पड़ता है।