
Rain data not complete, 8 to 12 percent Kharif crops damaged
टीकमगढ़. जिले में बारिश का आंकड़ा लक्ष्य तक नहीं पहुंचा और उड़द, मूंग और तिल की फसलें खराब होने लगी है। यह सिलसिला दो साल से चल रहा है। जिसमें हर वर्ष २० से २५ फीसदी फसलें खराब हो जाती है लेकिन इस वर्ष ८ से १२ फीसदी फसलें खराब बताई जा रही है। जिसका मुख्य कारण गलत समय पर फसलों का बोना बताया गया है। जिसके चलते किसानों को आर्थिक स्थिति का सामना करना पड़ता है।
खरीफ सीजन की वह फसलें बारिश में खराब हो रही है जो जून के अंतिम सप्ताह में बोई गई थी। २५ जून से ५ जुलाई के बीच में बोई गई फसलों को काफी नुकसान हुआ है।१५ जुलाई के बाद वाली फसलें खेतों में सुरक्षित खड़ी है। यह फसलें ६५ से ७५ दिनों में पककर तैयार हो जाती है। जो भी फसलें जून के अंतिम सप्ताह में बोई गई थी, वह फसलें खेतों में तैयार खड़ी है, लेकिन बारिश के कारण उनकी फलियों में अंकुर निकल आए है। कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि आज से बारिश कम होगी। कुछ दिनों के लिए मौसम साफ हो जाएगा और उसके बाद फिर एक बार और बारिश होगी।
खेतों में खड़ी फसलों में निकल आए अंकुर
किसान अमर सिंह, अरविंद्र सिंह, राकेश यादव, सोवरन रैकवार ने बताया कि पांच दिन पहले उड़द की फसलें कटने के लिए तैयार हो गई थी। उसके बाद बारिश का मौसम शुरू हो गया था। जिसके चलते पेड़ों में लगी उड़द, मूंग की फलियों में अंकुर निकल आए है। फसलों में नुकसान तो हुआ है, अगर अब बारिश हुई तो फसलों को बचाना कठिन हो जाएगा।
७५ दिनों में पककर तैयार हो गई उड़द की फसलें
उड़द और मूंग की फसलें ७५ दिनों में पककर तैयार हो गई है। इन फसलों को बोए आज ७५ दिन से अधिक हो गए है। खेतों में कटने के लिए तैयार खड़ी है, लेकिन बारिश से फलियों में अंकुर निकल आए है। जो फसलें ७५ दिन की हो गई है, उनमें ८ से १२ फीसदी नुकसान हुआ है। अगर आज से बारिश रूकती है तो कुछ हद तक फसलें सुरक्षित रहेंगी।
१५ जुलाई के बाद वाली बोवाई वाली फसलें सुरक्षित
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि जो फसलें जून के अंमित सप्ताह से ५ जुलाई के बीच में बोई गई थी, वह फसलें इन दिनों बारिश से खराब हो गई है। १५ जुलाई के बाद वाली फसलें सुरक्षित खड़ी है। किसानों द्वारा पहली बारिश में ही फसलों को बो दिया था। जिसके कारण फसलों की सुरक्षा करना मुश्किल हो जाता है।
बारिश का आंकड़ा नहीं हुआ पूरा
टीकमगढ़ जिले में बारिश की पूर्ति ९५० मिमी में हो जाती है लेकिन शासन १०००.२ मिमी पर ही पर्याप्त बारिश को मानता है। आज तक ८३७.९ मिमी बारिश का आंकड़ा दर्ज हुआ है। अभी बारिश का आंकड़ा लक्ष्य तक नहीं पहुंचा है लेकिन फसलें खराब होने लगी है।
फैक्ट फाइल
८३७.९ मिमी जिले में हुई बारिश
स्थान आंकड़ा
टीकमगढ़ ७७ मिमी
बडागांव धसान ७.० मिमी
बल्देवगढ़ ५८ मिमी
खरगापुर ६९ मिमी
जतारा ३३ मिमी
मोहनगढ़ ४० मिमी
लिधौरा २५ मिमी
पलेरा ६१ मिमी
इनका कहना
जो फसले जून के अंतिम सप्ताह से ५ जुलाई तक बोई गई है। वह फसलें बारिश से खराब हो रही है। १५ जुलाई के बाद वाली फसलें सुरक्षित है। जबकि किसानों को हर वर्ष खरीफ सीजन की फसलों को बोने के बारे में जागरूक किया जाता है। उसके बाद भी किसान जागरूक नहीं हो रहे है। जिसके कारण दो वर्षोंं से खरीफ की फसलें खराब हो रही है।
डॉ संजय सिंह, कृषि वैज्ञानिक टीकमगढ़।
पहली बारिश के बाद बोवाई करते है तो अंतिम समय में बारिश से खराब हो जाती है। जुलाई के बीच में बोवाई करते है तो फसलों की फलियों में दाना नहीं आता। अगर उदाहरण के लिए देखना है तो कृषि विभाग के सरकारी फार्मों को देख लो।
पुष्पेंद्र सिंह यादव, किसान पहाड़ी तिलवारन।
Published on:
11 Sept 2023 06:59 pm
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