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छत से गिर रहा चूना व पानी, फिर कंडम भवन में हो रहे है एक्सरे

जिले के सबसे बड़े सआदत अस्पताल के विस्तार के लिए कई प्रकार के निर्माण कार्य करवाएं जा रहे हैं और सुविधा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं, लेकिन एक्सरे विभाग दुर्दशा का शिकार है।

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छत से गिर रहा चुना व पानी, फिर कंडम भवन में हो रहे है एक्सरे

छत से गिर रहा चुना व पानी, फिर कंडम भवन में हो रहे है एक्सरे

टोंक. जिले के सबसे बड़े सआदत अस्पताल के विस्तार के लिए कई प्रकार के निर्माण कार्य करवाएं जा रहे हैं और सुविधा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं, लेकिन एक्सरे विभाग दुर्दशा का शिकार है। जबकि यह विभाग खास अहमियत रखता है। आलम यह है कि छत से टपकता पानी और गिरते चूने के बीच कर्मचारी और मरीज दोनों सांसें रोकर जांच को मजबूर है।

इतना ही नहीं यहां पानी भरा हुआ है। ऐसे में पानी के बीच कार्मिकों को करंट लगने के खतरे के बीच जांच करनी पड़ रही है। जबकि प्रशासन और चिकित्सा विभाग उपचार में सभी प्रकार की सुविधाएं मरीजों को मुहैया कराने का ढिंढोरा पीट रहे हैं। दरअसल सआदत अस्पताल में बने चौक का बरसात का पानी बहकर एक्सरे विभाग के कमरों में आ रहा है।

दीवारों में सीलन व कमरों में पानी भरने से करंट व मशीनों के खराब होने का खतरा बना हुआ है। इसी तरह दीवारों में पानी रिसने से सीलन आ रही है। कई जगह से छत से बरसात का पानी टपकने के साथ चूना व प्लास्टर भी गिर रहा है। यहां तक कि बिजली सप्लाई के लिए लगे पावर बॉक्स तक दीवारों में काफी मात्रा में सीलन आ रही है।

ये हालात बरसात के समय हमेशा बने रहते हैं। गत दिनों हुई बरसात के कारण एक्सरे विभाग के कमरों में पानी भरने से मरीजों के एक्सरे तक करना बंद कर दिया गया था। इससे कई मरीजों को समय पर उपचार नहीं मिल पाया।

सूत्रों की माने तो इस एक्सरे विभाग को अस्पताल विस्तार के लिए एनआरएचएम के तकनीकी विशेषज्ञों की ओर से भवन में करीब दस जगहों से ड्रिल से छेद कर की गई जांच में इसके ऊपर नए निर्माण के लिए भवन को असुरक्षित माना गया है।

इसलिए इस भवन की छत को छोडकऱ अन्य सभी छतों पर नए भवनों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें कई का निर्माण पूरा हो चुका है। कुछ निर्माण चल रहा है। विभाग अधीक्षक रेडियोग्राफर जगदीश प्रसाद बाबर ने बताया कि इस समस्या के बारे अस्पताल प्रबंधन को कई बार लिखित व मौखिक रूप से भी अवगत कराया गया है, लेकिन एक्सरे विभाग को अन्यत्र संचालन के लिए अभी तक ना तो कोई नई जगह की व्यवस्था हो पाई है और ना ही बहकर आने वाले पानी को रोकने का प्रंबंध किया गया है।