
न्यायालय ने दिए प्रेम विवाह करने वाले दम्पति को पुलिस सुरक्षा उपलब्ध करवाने के आदेश
टोंक. राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ ने लाम्बाहरिसिह के थानाधिकारी को आदेश दिए कि प्रेम विवाह करने वाले सजातीय दम्पति को परिजनों से पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई जाए। न्यायाधीश इंदरजीत सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश टोडारायसिंह के मांदोलाई गांव निवासी युवक की ओर से चाकसू क्षेत्र की सजातीय युवती से गत 8 नवम्बर को जयपुर के मंदिर में हिन्दू रीति रिवाज से प्रेम विवाह करने पर एडवोकेट लक्ष्मीकान्त शर्मा के जरिए दायर की गई आपराधिक विविध याचिका की सुनवाई के बाद निस्तारण करते हुए दिए हैं।
याचिका में बताया कि चाकसू क्षेत्र की युवती ने लाम्बाहरिसिह थाना क्षेत्र के सजातीय युवक से जयपुर के एक मंदिर में हिन्दू रीति रिवाज से प्रेम विवाह कर लिया। इस कारण युवती के परिजन इस विवाह से नाराज है और प्रेमी दम्पति की जान को उनसे खतरा है। इसलिए उन्हें पुलिस सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाए।
उच्च न्यायालय में प्रकरण की सुनवाई के दौरान प्रेमी युवती ने अदालत को बताया कि उसने स्वयं की इच्छा से युवक से विवाह किया है। जबकि उसके परिजन युवती का दूसरी जगह विवाह करना चाह रहे थे और प्रेम विवाह के कारण युवती के परिजनों से उनकी जान को खतरा है। अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद लाम्बाहरिसिह पुलिस के थानाधिकारी को प्रेमी युगल को पुलिस सुरक्षा उपलब्ध करवाने के आदेश दिए हैं।
मंदिर में पूजन वस्त्र पहन फेरे लिए
दूनी. बेटी का विवाह पिता के लिए एक सुखद अहसास व सालों से संजोया सपना होता है, जिसे साकार करने के लिए पिता कोई कसर नहीं छोड़ता। ताकि रिश्तेदार, समाज व गांव में विवाह को याद करे। उसके विपरित परिवार की रजामंदी से दूनी की बेटी ने मंदिर में भगवान आदिनाथ एवं अग्नि देव की साक्षी में फेरे लेकर रिश्तेदार, समाज व गांव की नजरों में विवाह को यादगार बना दिया।
जैनाचार्य पं. पवनकुमार जैन ने बताया कि दूनी निवासी कमलेश कोठारी की बेटी विधि रानी का विवाह सरोली निवासी राजेन्द्र सोनी के बेटे अर्पित से होना था। बुधवार दोपहर अर्पित बारात लेकर रिश्तेदारों सहित दूनी-सरोली मार्ग स्थित मकान पर आया।
विवाह की सभी रस्मे विधिवत होने के बाद बेटी विधि रानी ने पिता सहित परिजनों को लाखों रुपए से तैयार विवाह मण्डप में फेरे लेने के बजाए मंदिर में आदिनाथ भगवान के समक्ष जैनाचार्यों की ओर से बोले मंत्रों के बीच पूजन वस्त्रों में अग्नि को साक्षी मान फेरे लेने की बात कही।
इस पर पिता सहित अन्य रिश्तेदारों की रजामंदी के बाद वर-वधु ने मंदिर में भगवान आदिनाथ की पुजा-अर्चना व अभिषेक करने के बाद फेरे ले विवाह को यादगार बना दिया, हालांकि अन्य सभी विवाह की रस्ते परिजनों के अनुसार सम्पन की गई।
Published on:
23 Nov 2019 10:42 am
बड़ी खबरें
View Allटोंक
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
