
सविंदाकार्मिकों की सेवा समाप्ति के आदेश पर न्यायालय ने लगाई रोक
टोंक. महिला अधिकारिता विभाग की ओर से चयनित साथिन को प्रशिक्षण में नहीं भेजने के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ ने राज्य के प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग, आयुक्त तथा टोंक के सहायक निदेशक महिला अधिकारिता विभाग को नोटिस जारी किया है। उनसे दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
न्यायाधीश अशोक कुमार गोड़ की एकलपीठ ने यह अंतरिम आदेश टोड़ारायसिंह के मोरभटियान निवासी संतोष दरोगा की ओर से एडवोकेट लक्ष्मीकांत शर्मा के जरिए दायर की गई याचिका पर प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए दिए हैं।
इसमें बताया कि ग्राम पंचायत मोरभाटियान की ओर से गत वर्ष26 जनवरी को याचिकाकर्ता का चयन महिला अधिकारिता विभाग में साथिन के लिए किया था। सूचना भी पंचायत ने विभाग को प्रेषित कर दी।
विभाग ने 24 जुलाई 2018 को याचिकाकर्ता को चयन आदेश भी दे दिए, लेकिन विभाग ने याचिकाकर्ता को 23 मई से 3 जून 2019 तक चले दस दिवसीय ट्रेनिग नहीं भेजा। इसे याचिका में चुनौती दी गई है।
इधर, राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय पीपलू में मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना और भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के सविंदाकार्मिकों की सेवा समाप्ति के आदेश पर राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ ने रोक लगाते हुए प्रमुख चिकित्सा सचिव, निदेशक, टोंक के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय के प्रभारी तथा मेडी केयर रिलीफ सोसाइटी के सदस्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने यह अंतरिम आदेश पीपलू के राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय में मई 2016 से सविंदा पर कार्यरत कार्मिक ओम प्रकाश सैनी और दो अन्य कार्मिकों की ओर से एडवोकेट लक्ष्मीकांत शर्मा के जरिए दायर की गई याचिका पर प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए दिए हैं।
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Published on:
31 Jul 2019 06:47 pm
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