समापन अवसर पर महा अघ्र्यचढ़ाया Great war गया। मंदिर समिति के चेतन बिलासपुरिया ने बताया कि विधान पंचमी Vidhan Panchami से लगातार ग्यारह दिनों तक मंदिर में चल रहा था। इसके तहत कुल 458 अघ्र्य एवं श्रीफल चढ़ाए गए। विधान की पूर्णाहुति पर श्रद्धालुओं Devotees on Poornahuti ने भगवान के जयकारों के बीच महा अघ्र्य चढ़ाकर भगवान से आशीर्वाद God bless लिया।
read more : बजरी से भरे ट्रक की टक्कर से गाय मरने की अफवाह पर लगाया जामसमाज के प्रवक्ता राजेश अरिहंत ने बताया कि सकल दिगंबर जैन समाज की ओर से शाम को पुरानी टोंक स्थित पांचों मंदिर से श्री जी को गाजे- बाजे Sing to Mr. ji के साथ नाचते हुए सिर पर धारण कर श्रद्धालुओं ने पाŸवनाथ भवन लाकर रजत जडि़त समोशरण में विराजमान किया गया। इसमें श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।
नव देवता पूजा, चौबीस तीर्थंकर पूजा, भगवान आदिनाथ, पाŸवनाथ, शांतिनाथ, नेमिनाथ की विशेष पूजा अर्चना कर अघ्र्यचढ़ाए। क्षमावाणी पर्व के तहत छोटों ने बड़ों के पांव छूकर क्षमा मांग कर आशीर्वाद लिया। एक दूसरे के घर जाकर गलतियों की क्षमा मांगी। इस अवसर पर समाज अध्यक्ष पारसमल, मंत्री शैलेंद्र कुमार, कोषाध्यक्ष चेतन जैन, प्रकाश सोनी, अशोक छाबड़ा, पदम, धनराज मौजूद थे।
read more : शिविर में 28 में से एक को भी नही सौंपा गया पट्टा, मायूस लोटे आवेदकदिगंबर जैन बड़ा मंदिर में क्षमावाणी पर्व मनाया गया। सभी ने एक दूसरे से साल भर में की गई गलतियों की क्षमा याचना की। समाज प्रवक्ता पवन कंटान, सुनिल सोनी ने बताया कि दिगंबर जैन मंदिर बड़ा तख्ता में 70 बच्चों ने श्रीजी के पंचामृत अभिषेक किया। इसमें दूध, घी, केसर, चंदन सर्व औषधी से पंचामृत अभिषेक किया।
श्रीजी की माल पहनाई गई उसके बाद सभी एक दूसरे से पैर छूकर बड़ों का आशीर्वाद लिया। इस मौके पर पदम चंद, श्याम लाल जैन, भागचंद, सुरेशचंद संघी मौजूद थे। सामूहिक क्षमावाणी पर्व मनाया
मालपुरा. पर्यूषण पर्व के समापन के बाद रविवार को मुख्यालय सहित लावा, डिग्गी, लाम्बाहरिसिंह, पचेवर, टोरडी के जैन मन्दिरों में सायंकाल कलशाभिषेक के बाद सामुहिक क्षमावाणी पर्व मनाया गया।
इसमें श्रद्धालुओं ने बीते वर्ष में एक-दूसरे से की गई गलतियों की क्षमा याचना मांगी तथा एक-दूसरे से गले मिलकर उत्तम क्षमा बोलते हुए क्षमावाणी पर्व मनाया।
read more : चार दर्जन बच्चों ने गुजारी स्कूल में रात, खाळ में पानी कम होने पर सुबह सभी को भेजा अपने घर वहीं अग्रवाल सेवा सदन डिग्गी में आचार्य इन्द्रनन्दी महाराज ने क्षमावाणी पर्व पर बोलते हुए कहा कि क्षमा वीरों का आभुषण है। कषायों पर समुचित प्रहार करना, अहंकार की सत्ता को नष्ट कर देना ही उत्तम क्षमा है।
आत्मा के उत्तम गुण जिन कारणों से विनिष्ट प्राय: हो रहे है उन समस्त पापों का प्रायश्चित कर अपनी शुद्ध चेतना आत्मा में रमण करना ही उत्तम क्षमा है।