
नटवाड़ा में गुरगल पक्षी का जोड़ा मंदिर पर बैठे हुए।
नटवाड़ा. कस्बे स्थित बद्री विशाल मन्दिर में अक्षय तृतीया पर होने वाले तीन दिवसीय वार्षिक मेले की शुरुआत सुबह कनक दण्डवत यात्रा एवं ध्वजारोहण के साथ हुई।
इस अवसर पर नव शवत्सर का शगुन देखने के लिए श्रद्धालु उमड़ पड़े। मदन लाल पारीक एवं रामकल्याण जाट ने बताया कि ध्वजा फहराने से पहले सालों से चली आ रही परम्परा के अनुसार
मंगलवार सुबह नटवाड़ा गढ़ में लक्ष्मण करण राठौड़ व पुण्यप्रताप करण के सान्निध्य में विधिवत मंत्रोच्चारण के सात अनाज एवं ध्वजा का पूजन करने के बाद बैण्ड बाजे एवं झालर, शंख, नगारों की ध्वनि एवं श्री बद्री विशाल भगवान के जयकारों के साथ शोभा यात्रा निकाली गई।
शोभायात्रा में महिलाओं द्वारा मंगल गीत गाने और भगवाने के जयकारों से माहौल भक्तिमय हो गया। शोभायात्रा गढ़ से शुरू होकर सीतारामजी मंदिर से होती हुई मुख्य बाजार, हताया मोहल्ला, जाटों के मोहल्ले से होती हुई श्रीबद्री विशाल मन्दिर पहुंची।
मन्दिर में महन्त तेजभारती ने ध्वजा को भगवान के चरणों में अर्पित कर विधि विधान से पूजा-अर्चना कर गांव के पंच-पटेलों के सान्निध्य में मन्दिर के शिखर पर ध्वजा फहराई। इसके बाद मन्दिर के शिखर पर बैठने वाले पक्षी का शगुन देखा गया।
भिगी चने की दाल एवं पतासों का प्रसाद वितरित किया गया। इसके बाद सभी ग्रामीणों ने घरों में पकवान बनाकर दाल-बतासों के साथ भगवान को भोग लगााकर एक-दूसरे को शुभ शगुन होने की बधाइयां दी।
इस अवसर पर पंचायत समिति सदस्य तेज भंवर सिंह राठौड़, सरपंच पिन्टू बैरवा, रघुवीर सिंह राजावत, रामरख सगीवाल, राजाराम जाट, रामकल्याण जाट, सूरजमल गौतम, कैलाश बोकण, हरिनारायण जाट, नारायण लाल शर्मा,
प्रभुलाल बोकण, रामकरण जाट, जगदीश सिंह सौंलकी, चतुर्भुज बोकण, शिवजी लाल जाट, देवलाल बोकण, धोलू लाल कटारिया, शिवराज सिहं सोलंकी, रामदेव प्रजापत, राधेगोपाल झालीवाल, लक्ष्मण सिंह कुपावत,
नाथूसिंह पडिहार, देवराज गुर्जर, राधेश्याम जाट, जगदीश कटारिया, रामप्रसाद जाट, जगदीश बोकण, राजाराम कीर, भंवर लाल बैरवा, हनुमान प्रसाद झालीवाल, रामसिंह तंवर, रमेशचन्द जाट, गंगाबिशन प्रजापत, हनुमान धाबाई, गिर्राज जाट, मोती लाल बोकण अन्य ने अक्षय तृतीया महोत्सव में व्यवस्था में सहयोग किया।
सुण ली म्हारा बद्रीनाथ
नटवाड़ा में श्री बद्री विशाल भगवान मन्दिर में ध्वजा फहराने के बाद चारों ओर सन्नाटा छा गया। सबकी नजर प्रथम पक्षी के बैठने के इन्तजार में टकटकी लगाईथी। मन्दिर के शिखर पर टिकी थी।
तभी एक गुरगल पक्षी का जोड़ा मन्दिर के शिखर पर आकर बैठने के साथ ही चारों ओर एक ही आवाज गूंज उठी सुण ली म्हारा बद्रीनाथ न। इसी के साथ हर श्रद्वालु के चहेरे पर खुशी लहर दौड़ गई। रामकरण जाट ने बताया कि जीवन में पहली बार मन्दिर के शिखर पर लगे मुख्य कलश पर पक्षी बैठा है।
पक्षी का जोड़ा बैठने से खरीब एवं रबी की फसल अच्छी होने के उम्मीद है। गौरतलब है कि शिखर पर बैठने वाले पक्षी में गरूड़, तोता, गुरगल पक्षी एवं चिडिय़ा सुकाल का प्रतीक है। वही कौआ अकाल का प्रतीक है।
भगवा रंग में रंगी सडक़े
अक्षय तृृतीया के अवसर पर निकाली गई शोभायात्रा का कई सामाजिक संगठनों एवं ग्रामीणों ने कदम-कदम पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। इससे सडक़ों पर फूलों के पंखों की परत जम गई। सडक़ें भगवा रंग में नजर आने लगी।
बद्रीनाथ व सनातन धर्म के जयकारों से कस्बा गुंजायमान हो गया। श्रद्धालुओं को ग्रामीणों द्वारा ठण्डा पेय एवं शर्बत पिलाया गया। आसपास के गांवों से पदयात्राएं आई। ध्वजा फहराने के बाद भगवान को पोषाक चढ़ाने वालों की होड़ मची रही।
Published on:
07 May 2019 11:20 am
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