
रबी की फसल की सिंचाई का समय नजदीक, बांध की नहरों व माइनर में भरी है मिट्टी, अंतिम छोर तक पानी पहुंचने में संशय
उनियारा. प्रदेश के दसवें एवं जिले में कच्चे बांधों की श्रेणी में सबसे बड़े गलवा बांध की नहरों की सफाई एवं मरम्मत का कार्य अब तक शुरू नहीं होने से अन्तिम छोर के किसानों को रबी की फसल की सिंचाई के लिए मिलने वाले पानी में संशय बना हुआ है। इस बार क्षेत्र में सामान्य से अधिक बरसात होने से 20 फीट की भराव क्षमता वाला बांध तीन साल बांद इस बार पूरा भर गया।
रबि की फसलों की बुवाई हो चुकने एवं आगामी कुछ दिनों में फसलों के प्रथम दौर की सिंचाई का समय नजदीक होने के बावजूद बांध की सैंकड़ो किलोमीटर लम्बे नहरी तंत्र की साफ-सफाई एवं मरम्मत का कार्य अब तक शुरू नहीं होने से अन्तिम छोर के किसानों को अपनी फसलों की सिंचाई को लेकर आशंका बनी हुई है, जिससे उनमें निराशा भी नजर आ रही है।
क्षतिग्रस्त एवं मिट्टी से भरी हैं नहरें
बांध का नहरी तंत्र लगभग 120 किलोमीटर लम्बा है, जो इस बार अतिवृष्टि के कारण कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गया है। साथ ही नहरें कच्ची होने से बरसात में कटाव से मिट्टी भर जाने तथा पेड़-पौधे ऊग आने से उनमें बहने वाले पानी में रूकावट बनेगा। सूत्रों के अनुसार बांध की मुख्य नहर करीब 5 जगह से जबकि ब्रांच केनाल एवं माइनर लगभग 13 स्थानों से क्षतिग्रस्त है। माइनरों में मिट्टी भर गई है। ऐसे में बांध के अन्तिम छोर के किसानों तक पानी पहुंच पाने में संशय बना हुआ है।
कब -कब पूरा भरा-
गलवा बांध की भराव क्षमता वर्ष 1997-1998 में विश्व बैंक की आर्थिक सहायता से 1 फीट बढ़ाकर 20 फीट तथा बांध की चादर की लम्बाई 800 से बढाकर 1 हजार 6 सौ फीट की गई थी। इसके बाद वर्ष 1999 में 10 इंच , 2011 में 8 इंच, 2013 में 9 इंच, वर्ष 2014 में 5 इंच तथा वर्ष 2016 में आधा इंच से 5 इंच तक की चादर चली थी। इस बार भी अतिवृष्टि से बांध पूरा भर जाने के बाद आधा इंच से 5 फीट तक कुछ-कुछ दिनों के अंतराल में चादर चली थी।
दो जिलों में होती है सिंचाई
जानकारी के अनुसार गलवा बांध टोंक जिले की उनियारा तहसील की 10 पंचायतें तथा सवाईमाधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा तहसील क्षेत्र की एक पंचायत के किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करवाता है। यह बांध 2 जिलो में सिंचाई करता है। ऐसे में बांध की नहरों को शुरू करने के लिए प्रतिवर्ष संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की जाकर नहरों के संचालन की तिथि तय की जाती है। इसके बाद ही नहरें खुलती है, लेकिन अब तक नहरों को खोलने की तिथि तय नहीं हुई है।
फैक्ट फाइल-
बांध का निर्माण-1957 से शुरू
पूर्ण रूप से बना 1960 में
पाल की लम्बाई-लगभग 6 किमी,
जलग्रहण क्षेत्र-393.68 स्कवायर किमी।
नहरी तंत्र की लम्बाई-120 किमी
सिंचित क्षेत्र-13 हजार 391 हैक्टेयर
नहरी तंत्र-1 मुख्य नहर, 1 ब्रांच केनाल, तथा 7 माइनर
बांध में भरे पानी का फैलाव-17.74 स्कवायर किमी
इनका कहना है:-
बांध की क्षतिग्रस्त नहरों की मरम्मत एवं साफ-सफाई का कार्य करवाने के लिए निविदाए आंमत्रित की जा चुकी है, लेकिन अभी तक ठेकेदार को कार्य करवाने के लिए आदेश पत्र जारी नहीं हुआ है। उक्त आदेश पत्र अधिशासी अभियन्ता के यहां से जारी होने के बाद ही कार्य शुरू हो पाएगा।
मान सिंह, सहायक अभियन्ता, जल संसाधन विभाग खण्ड उनियारा।
Published on:
30 Oct 2019 01:55 pm
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