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Rajasthan Assembly Election: नमदा और आरी-तारी से खूब कमाया नाम..सरकारी अनदेखी से हो न जाएं गुमनाम

Rajasthan Assembly Election 2023: जयपुर कोटा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 12 पर बसा है निवाई कस्बा। राजधानी से 65 किलोमीटर और टोंक जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूरी वाले इस कस्बे से करीब 15 किलोमीटर पहले हम रुके हाईवे पर बनी एक दुकान पर...तेज बरसात के बीच यहां कुछ लोग ठहरे हुए थे।

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टोंक

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Vikas Jain

Jun 30, 2023

ground report

विकास जैन
Rajasthan Assembly Election 2023 जयपुर कोटा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 12 पर बसा है निवाई कस्बा। राजधानी से 65 किलोमीटर और टोंक जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूरी वाले इस कस्बे से करीब 15 किलोमीटर पहले हम रुके हाईवे पर बनी एक दुकान पर...तेज बरसात के बीच यहां कुछ लोग ठहरे हुए थे। जब उन्हें पता चला कि राजस्थान पत्रिका के जागो जनमत... लोकतंत्र का उत्सव के तहत उनसे बात की जा रही है तो वे अपनी वेदनाएं सुनाने को आतुर हो उठे...। निवाई निवासी कुछ लोगों ने सलाह दी... निवाई कस्बे का चक्कर जरूर लगाना..आपको तस्वीर समझ आ जाएगी। उनका कहना था कि यह कस्बा राजधानी से सटा भले ही हो, लेकिन कस्बाई विकास में कहीं पीछे रह गया है। फिर गांधी पार्क होते हुए निवाई बस स्टैंड पहुंचे। नजारा किसी गांव के स्टैंड जैसा नजर आया। स्थानीय निवासी महेश पारीक से बात की तो उनका दर्द फूट पड़ा...बोले, बस स्टैंड की हालत तो आप देख ही रहे होंगे...बीच सडक़ पर जानवर बैठे रहते हैं। जब से नेशनल हाईवे पर बाइपास बना...यहां के लोगों को जयपुर, टोंक, कोटा जाने के लिए रोडवेज बसें मिलना मुश्किल हो गई।

बस स्टैंड के नजदीक ही मोबाइल की दुकान चलाने वाले जीतू ने बताया कि चालकों और परिचालकों की मनमानी इतनी है कि निवाई बस स्टॉप होते हुए भी यहां की सवारी नहीं बैठाते और सीधे बाईपास से बस निकाल ले जाते हैं। इसका खमियाजा पूरे विधानसभा क्षेत्र के लोग उठा रहे हैं। निवाई का अस्पताल जिला स्तरीय होना चाहिए, लेकिन यहां ऑपरेशन तक की सुविधा नहीं है। कोर्ट में काम करने वाले रामसहाय ने बताया कि सब्जी मंडी तक यहां सलीके से नहीं बन पाई। सोहेला के पास एक चाय की दुकान पर लोगों से बात की तो उनका कहना था कि यह हाईवे है, लेकिन आस-पास कोई बड़ा ट्रोमा सेंटर नहीं है।

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हमारा वाहन टोंक की ओर बढ़ता गया और जा पहुंचे टोंक जिला कलक्ट्रेट...। यहां जिला मुख्यालय के अब तक रेल नेटवर्क से नहीं जुडऩे का लोगों का दर्द सामने आया। टोंक का नमदा, आरी-तारी और बीड़ी उद्योग अब धीरे-धीरे मंद होता जा रहा है। देशभर में पहचान रखने वाले और अमरीका सहित कई देशों में निर्यात होने वाले नमदा की एक फैक्ट्री पहुंचे। टोंक के बहीर और रामद्वारा क्षेत्र के पास अब्दुल हफीज की फैक्ट्री पर पहुंचे तो उन्होंने कहा कि पहले छोटे-बड़े करीब 60-70 नमदा कारखाने थे। जो अब घटकर 15 से भी कम रह गए हैं। सरकार की ओर से कोई सुविधाएं नहीं मिलती। स्थानीय निवासी ओमप्रकाश गुप्ता ने बताया कि नमदा और बीड़ी उद्योग यहां का पुश्तैनी कामकाज रहा है, लेकिन औद्योगिक विकास में यह क्षेत्र पिछडकऱ रह गया है। टोंक रेल लाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष अकबर खान ने कहा कि जब तक यह क्षेत्र रेल नेटवर्क से नहीं जुड़ेगा, तब तक यहां की समस्याएं जस की तस रहने वाली हैं। स्थानीय लोगों ने टोंक को जयपुर संभाग में लाने की बात भी कही।

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सरकारी योजनाओं के बारे में स्थानीय निवासी विवेक विजयवर्गीय का कहना था कि चिरंजीवी बीमा योजना अच्छी है, लेकिन कुछ पैकेज को सिर्फ सरकारी अस्पताल तक सीमित रखा गया है। सभी पैकेज का दायरा निजी अस्पतालों तक बढ़ा दिया जाए तो यह योजना ज्यादा प्रभावी और लाभकारी हो सकती है।