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सिर पर बैग, हाथों में चप्पल-जूते,-घुटनों तक पानी में आने-जाने को मजबूर विद्यार्थी

राजकीय संस्कृत प्राथमिक विद्यालय में पानी भरने के बाद टापू तो मार्ग ने दरिया का रूप ले लिया। इससे विद्यार्थियों-ग्रामीणों मेें किसी अनहोनी का खतरा बना रहता है।

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टोंक

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Jalaluddin Khan

Aug 31, 2019

सिर पर बैग, हाथों में चप्पल-जूते,-घुटनों तक पानी में आने-जाने को मजबूर विद्यार्थी

सिर पर बैग, हाथों में चप्पल-जूते,-घुटनों तक पानी में आने-जाने को मजबूर विद्यार्थी

दूनी. देवड़ावास पंचायत की खात्याहाली मजरा ढाणी स्थित राजकीय संस्कृत प्राथमिक विद्यालय भवन बारिश के बाद टापू तो मार्ग के दरिया बनने से विद्यार्थियों-अध्यापकों को प्रतिदिन घुटनों से उपर तक के पानी से गुजरकर विद्यालय आना-जाना पड़ रहा है।

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साथ ही ढाणी के गंभीर मरीज, प्रसूताओं व वृद्धों का उपचार कराने के लिए परिजनों को ट्रैक्टर-ट्रॉलियों का उपयोग लेकर मार्ग पार कर अस्पताल जाना पड़ रहा है। इससे विद्यार्थियों-ग्रामीणों को किसी अनहोनी का खतरा बना है।
उल्लेखनीय है की ढाणी का तालाब भरने के बाद उसका पानी विद्यालय परिसर व मुख्य मार्ग पर भर गया।

पानी भरने के बाद विद्यालय ने टापू तो मार्ग ने दरिया का रूप ले लिया। मार्ग पर गहरे गड्ढे होने के साथ करीब दो-तीन फिट पानी भरा हुआ है, वही ंविद्यालय भवन के चारों ओर भी पानी भरा हुआ है। प्रधानाध्यापक हुकुमचंद रैगर ने बताया की विद्यालय में करणा का बांस, सरकावास व खात्याहाली मजरा ढाणी से बच्चे पढऩे आते है।

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विद्यालय व ढाणी में आने का एक ही मुख्य रास्ता है, जो लबालब से भरा हुआ है। उन्होंने बताया की प्रार्थना व पढ़ाई शुरू करने से पहले अध्यापक-अध्यापिकाओं को मासूमों को विद्यालय भवन तक लेकर आना पड़ता है। नजदीक तालाब होने व उसका पानी मुख्य मार्ग पर आने के कारण मासूमों के खतरा बना हुआ है। कई बार कलक्टर, एसडीओ, विकास अधिकारी, दूनी तहसीलदार को अवगत कराए जाने के बाद भी सुनवाई नहीं हो रही।


मरीज-प्रसुताओं का ढाणी से निकलना मुश्किल
ढाणी के लोगों ने बताया की मासूमों को विद्यालय भेजने का खतरा तो उठाना पड़ रहा है साथ सबसे अधिक समस्या ढाणी से गंभीर मरीजों, प्रसूताओं को लेकर हो रही है।

मुख्य मार्ग पर हुए गहरे गड्ढों व भरे पानी के चलते बाइक व चौपहियां वाहनों के नहीं निकलने से उन्हें ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में गांव के बाहर निकालना पड़ रहा है, इसके बाद अन्य वाहनों में अस्पताल ले जाना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया की पंचायत प्रशासन से लेकर जिले के उच्चाधिकारियों को समस्या से अवगत कराया गया है, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की।