read more:कई बार कर चुके शिकायत पर भी नही हुई सुनवाई तो हाइवे पर जाम लगाकर किया प्रदर्शन इसके बाद भी ये चूना-सीमेंट गिरता नहीं रुका तो अब नगर परिषद ने नोटिस जारी कर सब्जी विक्रेताओं को मंडी खाली करने को कहा है। साथ ही कहा है कि वे सब्जी की दुकान मंडी के बाहर लगाए। अंदेशा जताया गया है कि मंडी की छत्त पूर्ण रूप से जर्जर हो चुकी है। ऐसे में ये कभी भी गिर सकती है।
जबकि सब्जी विक्रेता लगातार इसकी मरम्मत की मांग कर रहे थे। ऐसे में नगर परिषद ने पूर्णरूप से मरम्मत कराने के स्थान पर इसे कण्डम घोषित कर दिया। ये सब्जी मंडी पुराने बस स्टैण्ड के समीप है। इसकी मरम्मत के लिए अब नए सिरे से टेण्डर जारी किए जाएंगे। मरम्मत तक मंडी के अंदर किसी का भी प्रवेश नहीं होगा।
read more:नगर परिषद: कमाए नहीं, उससे ज्यादा खर्च, खाते में बचे केवल 5 करोड़ युवा अवस्था में ही हो गई बुजुर्ग मंडीइस मंडी का निर्माण सितम्बर 1998 में पूर्ण होकर संचालन शुरू हुआ था। इसे बने अभी महज 21 साल ही हुए हैं और इसकी आरसीसी वाली छत अभी से गिर गई है। ऐसे में ये मंडी युवा अवस्था में ही वृद्ध हो गई है। जबकि अमूमन किसी भी भवन की छत की आयु कम से कम 30 से कम नहीं होती है, लेकिन इसे महज 21 साल में ही कण्डम घोषित करना इसके निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा कर रहा है। इससे लग रहा है कि मंडी निर्माण के समय नगर परिषद ने गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया। इसी का नतीजा है कि मंडी को कण्डम घोषित करना पड़ा।
इस मंडी का निर्माण 15 लाख रुपए की लागत से वर्ष1998 में हुआ था। यहां सितम्बर 1998 से मंडी चल रही है। इसके लिए नगर परिषद प्रत्येक सब्जी विक्रेता से 600 रुपए प्रति महीना वसूलती है। वर्तमान में 250 सब्जी विक्रेता मंडी में अपनी दुकान लगाते हैं।
जर्जर हाल में हो चुकी मंडी की मरम्मत पर नगर परिषद ने गत वर्ष12 लाख रुपए खर्च कर किए थे। इधर, सब्जी विक्रेता लाली देवी, कोशल्या, फूला व सीता देवी ने बताया कि नगर परिषद हर साल 50 रुपए किराया बढ़ाती है, लेकिन सुविधाओं पर कभी ध्यान नहीं दिया। इधर, सहायक अभियंता फतेहसिंह ने बताया कि मंडी की मरम्मत जल्द ही कराई जाएगी। तब तक सब्जी विक्रेताओं को बाहर बैठने को कहा है। ताकि किसी प्रकार का हादसा नहीं हो।