
कलक्ट्रेट तक गूंजती है अवैध पत्थर खनन के धमाकों की आवाज, शहर की सडक़ों पर दौड़ते हैं पत्थर से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली
टोंक. शहर के समीप पहाडिय़ों पर हो रहे अवैध खनन की गूंज कलक्ट्रेट तक सुनाई देती है। इसके बावजूद अधिकारी इस पर अनदेखी बरत रहे हैं। वहीं शहर में अलसुबह से सुबह दस बजे तक दौड़ते पत्थरों से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली पर वन विभाग के अधिकारी मौन साधे हुए है। जबकि टोंक के समीप पहाडिय़ों पर अवैध रूप से पत्थर का खनन सूचना से जिला वन अधिकारी भी वाकिफ है। आलम ये है कि अधिकतर पहाडिय़ां सिमटने लगी है।
पहाडिय़ों की स्थिति देख कर लगता है जैसे यहां काफी समय से गश्त ही नहीं की गई है। पुरानी टोंक में मस्जिद अल्तमश वाली वाली पहाड़ी पर इस कदर खनन किया गया है कि वह अब स्वत: ही ढहने लगी है। उसके पत्थर अब कभी भी गिरते रहते हैं। इस पर पहाड़ पर बनी मस्जिद व मंदिर को भी खतरा मंडरा रहा है।
वहीं समीप की बस्तियों पर भी संकट है। इसके बावजूद वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी इस अवैध खनन पर नजर बंद किए बैठे हैं। चौंकाने वाली बात ये भी है कि सदर वन नाका के सामने से पत्थरों से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली गुजरते हैं, लेकिन कभी वन विभाग ने इन्हें पकडऩे की कोशिश नहीं की। इधर, दूसरी तरफ वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों में भी आपस में समन्वय नहीं है। वे भी एक-दूसरे पर मामले को टालते रहते हैं।
रात 10 बजे से शुरू होता खनन
शहर के समीप पहाडिय़ों पर रात दस बजे से पत्थर खनन शुरू होता। ये खनन रात एक बजे तक चलता है। इसके बाद रात एक से तडक़े 5 बजे तक पत्थरों से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली शहर भर में दौड़ते रहते हैं। इसकी जानकारी भी शहर रेंजर सहित अन्य वन विभाग के अधिकारियों को है, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है।
गत दिनों वन विभाग की टीम ने विवेकानंद सर्कल पर एक ट्रैक्ट्रर-ट्रॉली को पकड़ा भी था, लेकिन खननकर्ता उसे छुड़ा ले गए। बाद में जब दबाव बना तो वन विभाग के कर्मचारियों ने उक्त खननकर्ता के खिलाफ मामला दर्ज कराया। ऐसे कई मामले शहर में प्रति दिन हो रहे हैं।
सिमट गई पहाडिय़ां
शहर में अंधेरिया बाग की पहाडिय़ां अब खनन के चलते सिमट गई है। वहीं कच्चा बंधा, बहीर, मोडियाल पहाड़ समेत अन्य सिमटते जा रहे हैं। वन विभाग शिकायत पर भी ध्यान नहीं दे रहा है।
एक बार भी नहीं गए रेंजर
क्षेत्रीय वन अधिकारी हरिसिंह हाड़ा ने बताया सदर वन क्षेत्र में विभाग के चार कार्मिक लगे हुए है। उन्हें खनन रोकना चाहिए। वहीं हाड़ा ने बताया कि पिछले एक माह के दौरान वह एक बार भी शहर स्थित वन क्षेत्र की पहाडिय़ों में नहीं गए है। जबकि वन अधिकारियों के मुताबिक गश्त रोजाना की जा रही है।
Published on:
26 Sept 2019 09:36 am
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