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यहां नहीं हुई खरीदी…और किसान होते रहे परेशान

समर्थन मूल्य पर चने, मसूर व सरसो की उपज बेचने के लिए दूसरे दिन भी खरीदी शुरू नहीं होने से किसानों को बुधवार को भी भटकना पड़ा।

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Farmers, again agitating in Madhya Pradesh, this is the strategy

Farmers, again agitating in Madhya Pradesh, this is the strategy

नागदा. समर्थन मूल्य पर चने, मसूर व सरसो की उपज बेचने के लिए दूसरे दिन भी खरीदी शुरू नहीं होने से किसानों को बुधवार को भी भटकना पड़ा। खरीदी को लेकर कई किसान उपज लेकर नागदा कृषि उपज मंडी पहुंचे, लेकिन अव्यवस्था के चलते किसानों को झांझाखेड़ी व रुपेटा सेवा सहकारी संस्था भेजा दिया गया।
यहां भी खरीदी नहीं होने से किसानों को बैंरग लौटना पड़ा। बताया जा रहा है कि अव्यवस्था व प्रदेश मुख्यालय से संसाधन नहीं आने से दोनों केंद्र पर खरीदी नहीं हो सकी। अभी तक खरीदी को लेकर कोई दिशा-निर्देश नहीं आने पर किसानों में आक्रोश पनप रहा है। हालांकि उपयुक्त उपज के लिए नागदा मंडी के अधिन कुछ ही किसानों ने पंजीयन कराए है। तीनों फसल के लिए महज १०३९ किसानों ने ही पंजीयन कराया है। जबकि गेहूं के लिए 3 हजार से अधिक किसानों का पंजीयन हुआ है। जिसमें सर्वाधिक पंजीयन चने की फसल है।
क्या है मामला : मप्र सरकार ने इस वर्ष से गेहूं की तर्ज पर चने, मसूर व सरसो की फसल भी समर्थन मूल्य पर खरीदी की घोषणा की है। जिसकी तिथि १० अप्रैल निर्धारित की थी, लेकिन प्रथम दिन खरीदी नहीं हुई, फिर 11 अप्रैल से खरीदी होना थी, लेकिन दूसरे भी अव्यवस्था रही। खरीदी के लिए सरकार ने कृषि उपज मंडी को अधिकृत किया, लेकिन नागदा कृषि उपज मंडी में जगह के अभाव के चलते मंडी प्रबंधन ने खरीदी करने से मना कर दिया। जिसके लिए जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की दो सेवा सहकारी संस्था झांझाखेड़ी व रुपेटा को अधिकृत किया गया।
नहीं पहुंचे संसाधन

खरीदी के लिए नागदा केंद्र पर संसाधन नहीं पहुंचे। जिसमें बारदान, कट्टे पैकिंग के लिए मशीन, कम्प्युटर, लैपटॉप शामिल है। हालांकि तोल कांटे बुधवार को दोनों केंद्र झांझाखेड़ी व रुपेटा पहुंचा दिए गए। दोनों केंद्र को अभी तक पंजीकृत किसानों की सूची व किस गांव के किसानों की उपज खरीदना है, यह भी जानकारी दोनों केंद्र पर नहीं पहुंची। इससे प्रबंधन ने भी खरीदी नहीं की है। बताया जा रहा है कि अक्षय तृतीया १८ अप्रैल के बाद ही खरीदी हो सकेगी। इधर, खरीदी नहीं होने से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों में अक्षय तृतीया पर विवाह अधिक होने से किसानों को रुपयों की भी आवश्यकता है। खरीदी प्रारंभ नहीं होने से किसानों को आर्थिक परेशानी भी हो रही।
खरीदी नहीं हुई शुरू
&बारदान नहीं होने व व्यवस्था पूरी नहीं होने के कारण चना, सरसो व मसूर की खरीदी प्रारंभ नहीं हुई है। किसानों को मोबाइल पर संदेश भी नहीं मिल रहे है।
बीएल चौधरी, सचिव, कृषि उपज मंडी, नागदा