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“नई जगहों पर तलाशें वेलनेस और रूरल टूरिज्म की संभावनाएं”

- पर्यटन: एक्सपर्ट जीत सिंह आर्य बता रहे हैं पर्यटन को संजीवनी देने का मंत्र

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Discover the possibilities of wellness and rural tourism in new places

"नई जगहों पर तलाशें वेलनेस और रूरल टूरिज्म की संभावनाएं"

रूरल टूरिज्म का कंसेप्ट लोगों को पसंद आ रहा है। आने वाले वक्त में इसमें काफी संभावनाएं हैं। कोविड 19 के बाद लोगों की सोच में भी बदलाव आए हैं। वे अब अपनी जड़ों की तरफ लौटना चाहते हैं। पर्यटन एक्सपर्ट जीत सिंह आर्य बता रहे हैं पर्यटन को संजीवनी देने का मंत्र...

कोविड 19 के चलते पर्यटन उद्योग के स्वरूप में काफी बदलाव अपेक्षित है। लोगों को काफी कुछ अहसास हुआ है। प्रकृति, अच्छे भोजन, परिवार व दोस्तों के साथ समय व्यतीत करने आदि की वजह से लोगों की अब समूह में या परिवार के साथ यात्राएं हो रही हैं। विदेश यात्रा का विकल्प बंद हैं तो लोग अब आंतरिक या अपने ही राज्य की जगहों पर घूम रहे हैं। एक बड़ा खंड इको टूरिज्म की तरफ आकर्षित हुआ है। वेलनेस टूरिज्म का क्रेज भी बढ़ा है। यह टूरिज्म काफी महंगा है और उसकी हर जगह उपलब्धता नहीं है। आने वाले समय में यह क्षेत्र काफी बढ़ेगा।

वहीं एडवेंचर में ट्रैकिंग, कैम्पिंग, साइकिलिंग, स्टार ब्रेजिंग की वजह से काफी संभावनाएं बढ़ गई हैं। रूरल टूरिज्म का कंसेप्ट भी लोगों को पसंद आ रहा है। आने वाले वक्त में इसके बढऩे की संभावना इसलिए हैं क्योंकि कोविड 19 के बाद लोगों की सोच में भी काफी बदलाव आए हैं। वे अब अपनी जड़ों की तरफ लौटना चाहते हैं। इको टूरिज्म, एडवेंचर, वेलनेस और रूरल टूरिज्म पर नई शुरुआत में ही फोकस कर लेना चाहिए।

स्थानीय लोगों को तक पहुंचे पर्यटन का लाभ: पर्यटन का विकास अभी तक ज्यादातर जरूरतों के सृजन के आधार पर किया गया है जिसमें काफी समय तक स्थानीय जनसंख्या की उम्मीद और सहभागिता को महत्व नहीं दिया गया है । अब समय है कि स्थानीय लोग को पर्यटन के क्षेत्र का लाभ मिले उनकी आजीविका जैसे होमस्टे, ट्रैकिंग, कैम्पिंग, स्थानीय खानपान और कला व संस्कृति को बढ़ावा मिले।

ओवर टूरिज्म से बचने के हों उपाय -
ओवर टूरिज्म की वजह से प्लास्टिक की भरमार, स्थानीय संस्कृति में तत्काल बदलाव, अनियोजित विकास जैसे मुद्दे सामने आए हैं। इस दौर में लोग भीड़- भाड़ वाली जगहों पर जाने से बच रहे हैं। ओवर टूरिज्म से बचने के लिए कि पर्यटन स्थलों की सीमांकित व दीर्घकालीन योजना तैयार होनी चाहिए। उसके लिए आर्किटेक्ट ,पर्यटन विभाग व मंत्रालय और पर्यटन क्षेत्र के लोगों का सहयोग होना चाहिए।

नए स्थानों पर ज्यादा जाएंगे लोग -
नए स्थानों पर अब पर्यटक ज्यादा पहुंचने की कोशिश करेंगे । स्मार्टफोन और वहन करने योग्य इंटरनेट कनेक्शन की वजह से गूगल मैप्स का और यूट्यूब में नई जगहों को सर्च करने का काम काफी ज्यादा किया जा रहा है। लोग नए-नए लोकेशन ढूंढ कर सोशल मीडिया और वीडियो ब्लॉगिंग के जरिए उन्हें लोकप्रिय बनाने का काम कर रहे हैं जिससे नए पर्यटन स्थल बन रहे हैं। अभी सोशल मीडिया का प्रभाव पर्यटन पर सबसे ज्यादा पड़ रहा है। यह एक ऐसा माध्यम बन गया है जो कोविडकाल में लोगों को तुरंत नई जगहों से अपडेट भी कर रहा है। लोग अपने परिवार के साथ कहीं घूमने जाते हैं तो तुरंत स्टेट्स अपडेट करते हैं जिसकी वजह से उनके दोस्त और फॉलोअर्स प्रभावित होते हैं। डेस्टिनेशन प्रमोशन के लिए सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग करना चाहिए।