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आचार संहिता के कारण 17 परीक्षाओं की बढ़ाई तिथि, 25 लाख बेरोजगार कर रहे है इंतजार

रोजगार के इंतजार में सरकारी भर्तियों की आस लगाएं बैठे बेरोजगारों को अब आचार संहिता का डर सताने लगा है। भर्ती एजेंसियों की रफ्तार बेहद कमजोर है। चूंकि अब किसी भी समय आचार संहिता लागू की जा सकती है।

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उदयपुर. रोजगार के इंतजार में सरकारी भर्तियों की आस लगाएं बैठे बेरोजगारों को अब आचार संहिता का डर सताने लगा है। भर्ती एजेंसियों की रफ्तार बेहद कमजोर है। चूंकि अब किसी भी समय आचार संहिता लागू की जा सकती है। ऐसे में शिक्षा विभाग हो या फिर चिकित्सा, स्वायत्त शासन, सीइटी सभी भर्तियां कायदों के फेर में उलझी नजर आ रही है। सरकार ने अपने बजट में एक लाख भर्ती करने का वादा किया था। इसके बावजूद बेरोजगार नई भर्ती की आस लगाए बैठे हैं। हालांकि संस्कृत शिक्षा विभाग ने कम्प्यूटर अनुदेशक भर्ती को हरी झंडी दी है। यदि चिकित्सा व शिक्षा विभाग की ओर से सभी भर्तियों को अनलॉक कर दिया जाए तो 35 हजार बेरोजगारों के घर खुशियां आ सकती है। यही नहीं स्वायत्त शासन विभाग में फायरमैन को नौकरी और सफाई कार्मिकों को साक्षात्कार का इंतजार है।

17 परीक्षाओं की तिथि बढ़ाई, 25 लाख को इंतजार
आपको बता दें कि राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने इस साल होने वाली 17 बड़ी परीक्षाओं की तिथियों को आगे बढ़ा दिया है। पहले ये परीक्षाएं सितम्बर से दिसम्बर के बीच में करवाई जानी थी। आचार संहिता की वजह से परीक्षा केन्द्र व स्टाफ की समस्या की समस्या देखते हुए चयन बोर्ड ने अब इन परीक्षाओं को 2024 में कराने का निर्णय लिया है। इन परीक्षाओं का प्रदेश के 25 लाख बेरोजगारों को इंतजार है।
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फार्मासिस्ट : दस साल से नौकरी का इंतजार, कैसे पड़े पार: स्थायी नौकरी को लेकर बेरोजगार बेहद चिंतित है। ऐसे ही बेरोजगारों में फार्मासिस्ट भी शामिल हैं। जो 10 साल से स्थायी नौकरी का इंतजार कर रहे हैं। पहले दो बार विज्ञप्ति जारी हो चुकी है, लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं हो सका। संविदा कार्मिकों का कहना है कि कई बार नियमित करने की घोषणा की जा चुकी। इससे फिर नियमित होने की आस जगी है। हालांकि फ्रेशर अभ्यर्थियों ने परीक्षाओं के जरिए नौकरी देने की मांग की है।

चिकित्सा विभाग : 20546 हजार पदों की भर्ती, इनका प्रोविजनल परिणाम जारी: चिकित्सा विभाग ने जून व जुलाई माह में आठ श्रेणी के 20 हजार 546 हजार पदों के लिए आवेदन लिए थे। पहले तो ये भर्ती परीक्षा बोनस अंकों के विवाद में उलझी रही। फिर मामला फीस पर उलझा तो विवाद न्यायालय तक जा पहुंचा। ऐसे में अब तक विभाग ने दो श्रेणी की भर्तियों की प्रोविजनल सूची जारी की है।
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शिक्षा विभाग : अब तक ना परिणाम जारी, ना मिली नौकरी: आरपीएससी की ओर से प्रथम श्रेणी व्याख्याता के 6 हजार पदों की भर्ती के चयनित बेरोजगारों को नौकरी का इंतजार है। बेरोजगारों का कहना है कि पिछले साल 26 विषयों के लिए अप्रेल माह में विज्ञप्ति जारी की थी। अक्टूबर 2022 में परीक्षा हुई, लेकिन परिणाम अब तक जारी नहीं हो पाया है। बेरोजगारों ने बताया कि 9 हजार वरिष्ठ अध्यापक की नौकरी भी उलझी हुई है। तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति की मांग भी गूंज रही है। यही नहीं सरकार ने 3800 पदों की वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी है। लेकिन इसमें भी कुछ नहीं किया गया है। जिससे लाखों की संख्या में बेरोजगार प्रभावित हो रहे हैं। यही नहीं हर साल होने वाली रीट पात्रता परीक्षा भी नहीं हो पाई है। जिससे प्रदेश के करीब 17 लाख बेरोजगार प्रभावित हैं।

इनका कहना
सरकार को लंबित भर्तियों को शीघ्र पूरा करना चाहिए ताकि बेरोजगारों को रोजगार मिल सके। यदि सरकार जल्द ही ऐसा नहीं करती है तो प्रदेश में विरोध के स्वर बुलंद किए जाएंगे।
उपेन यादव, प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ