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उदयपुर डबोक एयरपोर्ट पहुंचे 2 एयरक्राफ्ट, पांच साल बाद कैडेट्स फिर उड़ाएंगे माइक्रोलाइट

उदयपुर। अत्याधुनिक माइक्रोलाइट एयरक्राफ्ट उड़ाने का प्रशिक्षण नए साल में फिर से शुरू होगा।

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2 aircraft arrive at Udaipur Dabok airport after five years MicroLite

उदयपुर। करीब 5 वर्ष के बाद उदयपुर में 6 राज एनसीसी एयरविंग के कैडेट्स को अत्याधुनिक माइक्रोलाइट एयरक्राफ्ट उड़ाने का प्रशिक्षण नए साल में फिर से शुरू होगा। इसके लिए दोनों माइक्रोलाइट एयरक्राफ्ट डबोक एयरपोर्ट पर पहुंच गए हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2013 में तकनीकी जीवन समाप्त होने के बाद माइक्रोलाइट का प्रशिक्षण बंद कर दिया गया था।


फ्लाइट कमांडर कैप्टन रामचंद्र ने बताया कि जनवरी 2018 के अंतिम सप्ताह से नए माइक्रोलाइट एयरक्राफ्ट से कैडेट्स को प्रशिक्षण देना शुरू किया जाएगा। कमांडिंग ऑफिसर विंग कमांडर पीए अय्यर इसका प्रशिक्षण देंगे। जूनियर डिविजन पाठ्यक्रम के अनुसार 950 बच्चों को अनुभव के तौर पर एक बार उड़ान भरने का अवसर मिलेगा। सीनियर डिविजन पाठ्यक्रम में 250 कैडेट्स को एक घंटा प्रति वर्ष माइक्रोलाइट एयरक्राफ्ट उड़ाने का अनुभव मिलेगा।

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जिन बच्चों का अच्छा प्रदर्शन रहेगा व रुचि रहेगी, उनको योग्यता के अनुसार अधिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पुराना एयरक्राफ्ट भी सर्विसिंग के बाद ठीक होकर आ गया है। ऐसे में एनसीसी एयरविंग के पास अब 3 माइक्रोलाइट हो गए हैं।

ऐसे पहुंचा उदयपुर
माइक्रोलाइट एयरक्राफ्ट स्लोवानिया में बने हैं। इन्हें वहां कंटेनर से जोधपुर एयरफोर्स स्टेशन पर लाया गया था, जहां से इसके टुकड़ों को जोडकऱ कैप्टन रामचंद्र उड़ाते हुए उदयपुर लाए। ये एयरक्राफ्ट अभी डबोक हवाई अड्डे के हैंगर में खड़े हैं।

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एयरक्राफ्ट की ये है खूबी

माइक्रोलाइट में 80 हॉर्स पावर का इंजन है जिससे यह 246 किमी. प्रति घंटे की गति से उड़ाया जा सकता है।
ये 3 घंटे तक उड़ान भरकर करीब 500 किमी. की दूरी तय कर सकता है।
ये 10 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है।
इस एयरक्राफ्ट की चौड़ाई लगभग 11 मीटर, लम्बाई 7 मीटर एवं ऊंचाई 2 मीटर है।
एनसीसी ने राष्ट्रीय स्तर पर 110 पीपीस्ट्रल एस डब्ल्यू 80 खरीदे हैं जिसको गरुड़ के नाम से जाना जाएगा।
ये विमान 2 सीटर है।
राजस्थान में उदयपुर, जोधपुर, कोटा के पास एयरक्राफ्ट आए हैं। जयपुर के पास आने बाकी हैं।
इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें बैलास्टिक पैराशूट में होता है। एयरक्राफ्ट में कोई तकनीकी खामी आती है तो ये एयरक्राफ्ट पैराशूट के सहारे अपने आप लैंड कर जाता है। ये क्रैश नहीं होता है। ना ही इसमें से कूदने की आवश्यकता पड़ती है।


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