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यहां के आदर्श विद्यालय के ऐसे हाल, खतरे के बीच तालीम लेने को मजबूर बच्चे लेकिन सरकारी प्रक्रिया में उलझा पड़ा है विद्यालय भवन

बनोडा. गांवड़ापाल का उच्च माध्यमिक विद्यालय कहने को आदर्श है, जबकि यहां के हालात बदतर हैं।

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adarsh school at banoda udaipur

प्रकाश चौबीसा / बनोडा. गांवड़ापाल का उच्च माध्यमिक विद्यालय कहने को आदर्श है, जबकि यहां के हालात बदतर हैं। कक्षा 1 से 12 तक में 400 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं और कमरे महज सात। चार कमरे जर्जर अवस्था में हैं। अध्यापकों के सभी पद रिक्त हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय वर्ष 1977 में उच्च प्राथमिक में क्रमोन्नत हुआ। सन् 2005 में माध्यमिक और 2015 में उच्च माध्यमिक बना, लेकिन हालात नहीं बदले। कार्यवाहक अध्यापकों से ही संस्थाप्रधान के कार्य निपटाए जाते रहे हैं। सालों बाद संस्था प्रधान की पद पूर्ति हुई है। मात्र 5 कमरे ही बैठने की स्थिति में हैं। बाकी तीन कमरे तो पूरे तरह से जर्जर हो चुके हैं। दीवारों का प्लास्तर उखड़ चुका है और छत की पट्टियां टूटने की स्थिति में हैं। बरसात के दिनों में तो यहां बैठक व्यवस्था पूरी तरह से गड़बड़ा जाती है।

अपर्याप्त कमरों में 12वीं तक कक्षाएं संचालित करना मुश्किल हो जाता है। यहां 24 में से द्वितीय श्रेणी केे 2 और तृतीय श्रेणी के 3 पद रिक्त है। लिपिक के दोनों पद रिक्त होने से डाक सम्बंधी कार्य अध्यापकों को ही करना होता है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का एक पद है, वह भी रिक्त है, जो कार्य बालकों को करना पड़ता है। मुकेश चौबीसा ने बताया कि कई बार ग्रामीण उदयपुर सांसद, विधायक, जिला शिक्षा अधिकारी से मिले, लेकिन समाधान नहीं हुआ। जर्जर कमरों सुधारने के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों ने घोषणाएं भी की, लेकिन बजट अभी तक नहीं आया। जर्जर भवन में ही बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

भवन के एक तरफ का हिस्सा पूरी तरह जीर्ण-शीर्ण हो चुका है। यहां का मैदान भी उबड़-खाबड़ है। संस्थाप्रधान के अनुसार कमरे कम होने की वजह से प्राचार्य के कमरे में ही पुस्तकालय और वाचनालय, परीक्षा कक्ष, स्टाफ रूम आदि का कार्य संचालित हो रहा है। संस्था प्रधान चैनाराम रेगर का कहना है कि इतने कम कमरों में 12वीं तक की कक्षाएं चलाना मुश्किल है।

जर्जर हालत के सभी कमरे नए बनाए जाते हैं तो बालकों को बैठने के लिए सुविधा मिलेगी। सरपंच गोरकीदेवी मीणा का कहना है कि कई बार जनप्रतिनिधियों और उच्चाधिकारियों को समस्या से अवगत कराया, लेकिन समाधान नहीं हुआ। यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।


टेंडर प्रक्रिया बाकी है
चार कमरे स्वीकृत हुए हैं। अभी टेण्डर प्रक्रिया नहीं हुई है। जल्द टेंडर होते ही जर्जर हालत के कमरों को गिराकर नया भवन तैयार कर दिया जाएगा।
कालूलाल अहारी, बीईईओ, सलूंबर