कीचड़़ व कच्चे मार्ग से पहले थे गांव में मिस्टर क्लीन की छवि वाले तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी का 8 अगस्त, 1985 को खेरवाड़ा के कनबई गांव में दौरा प्रस्तावित था। दौरे से पहले सोमाराम पारगी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री गांधी को गांव की हकीकत जानने के लिए कनबई की बजाए पाल छगवाड़ा या धनोल गांव का दौरा करने के लिए एक टेलीग्राम भेज दिया। राजीव इस टेलीग्राम को लेकर यहां पहुंच गए। कनबई जाने से पहले उन्होंने अधिकारियों से धनोल गांव के बारे में पूछा तो अधिकारी चौक गए और कहा कि इस गांव में जाने का कोई रास्ता नहीं है, कीचड़ व कच्ची रोड है। इस पर गांधी ने कहा कि क्या वहां लोग नहीं रहते। आधिकारियों के हां भरते ही राजीव-सोनिया को साथ लेकर धनोल गांव पहुंच गए।
कागणी कुरी की चखी रोटी, पीसा अनाज राजीव व सोनिया कीचड़ भरे रास्ते से करीब एक दो किलोमीटर पैदल सफर तय करते हुए आदिवासी कुरा मीणा के टापरे पहुंचे। कुरा की पत्नी धन्ना वहां घट्टी पर कागणी कुरी अनाज पीसती हुई मिली। राजीव ने उसके बारे में पूछा तो उसने इस अनाज की रोटी खाना बताया। राजीव ने उसी वक्त कागणी कुरी की रोटी चखी, उन्हें उसका स्वाद थोड़ा हटकर लगा तो उन्होंने पूछा कि क्या आप गेहूं की रोटी नहीं खाते ? धन्ना ने कहा कि गेहूं महंगा है, जबकि कागणी कूरी सस्ती है। राजीव ने कहा कि वे गेहूं सस्ता देंगे तो खाएंगें क्या, आदिवासियो के हां बोलते ही उन्होंने दिल्ली जाते ही सस्ते अनाज के साथ ही कई घोषणाएं कर दी। ग्रामीणों ने बताया कि सोनिया ने इस दौरान धन्नी के साथ अनाज पीसने की घट्टी भी चलाई, जो आज भी इसी कुरा के टापरे में मौजूद है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव ने धनोल गांव के दौरे के बाद कई महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणाएं कीं। आज भी ये योजनाएं चल रही है, जिसका पूरे देश के ग्रामीणों को इसका लाभ मिल रहा है। राजीव की स्मृति में आज भी धनोल गांव में प्रतिवर्ष 8 अगस्त को राजीव गांधी स्मृति दिवस के रूप में श्रद्धांजलि व कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
– लक्ष्मीनाराया पण्ड्या, गांधी ग्राम जागरण अभियान संयोजक एवं पूर्व उप जिला प्रमुख मैने प्रधानमंत्री राजीव गांधी को एक टेलीग्राम लिखा था, उसी आधार वे अचानक धनोल गांव पहुंचे थे। आज भी उनके नाम का गांव में शिलालेख लगा है। प्रधानमंत्री सभी ग्रामीणों को वापस आने का कह गए थे, वो नहीं आए लेकिन, आज भी ग्रामीण उनके परिवार के सदस्य सोनिया गांधी, राहुल गांधी व प्रिंयका गांधी का वहां आने का इंतजार कर रहे हैं।
– सोमाराम पारगी, ग्रामीण