
उदयपुर . राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने अधिक प्रदूषण करने वाली इंडस्ट्रीज को रेड जोन में शामिल कर इनकी ऑनलाइन मॉनिटरिंग शुरू कर दी है, लेकिन ग्रीन और ओरेंज जोन में आने वाली इंडस्ट्रीज अभी इस दायरे से बाहर है। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार वातावरण में जहरीली गैसों की मात्रा लगातार बढ़ रही है। तीनों श्रेणी की इंडस्ट्रीज की ऑनलाइन मॉनिटरिंग करके ही प्रदूषण की समस्या से निजात पा सकते हैं। शेष ग्रीन व ओरेंज श्रेणी की इंडस्ट्रीज की ऑनलाइन मॉनिटरिंग को लेकर प्रदूषण नियंत्रण मंडल को सीपीसीबी से निर्देश मिलने का इंतजार है। रेड जोन के शामिल 19 इंडस्ट्रीज को अभी तक उदयपुर में ऑनलाइन किया जा चुका है। चिमनी और इंडस्ट्रीज के जल उत्सर्जन वाले क्षेत्रों पर विभाग ने सेंसर और कैमरे लगाए हैं। ये सेंसर आरपीसीबी और सीपीसीबी के सॉफ्टवेयर से कनेक्ट हैं। तय मात्रा से अधिक अपशिष्ट उत्सर्जन पर सॉफ्टवेयर संबंधित कंपनी को स्वत: मैसेज भेज देता है। तीन बार से अधिक सीमा पार होने पर संबंधित इडस्ट्रीज को नोटिस दिया जाता है।
यह इंडस्ट्रीज के 3 जोन
सीपीसीबी की नई गाइड-लाइन के अनुसार गैस, केमिकल, सीमेंट, मेंटल, फर्टीलाइजर और 25 हैक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाली इंडस्ट्रीज को रेड जोन में शामिल किया गया है। इससे निम्न स्तर की इंडस्ट्रीज को ओरेंज श्रेणी में एवं कम प्रदूषण करने वाले इंडस्ट्रीज को ग्रीन जोन में शामिल किया गया है।
सिर्फ रेड जोन से ही नहीं खतरा
पुरानी तकनीक और मशीनरी होने से ओरेंज और ग्रीन जोन में शामिल इंडस्ट्रीज भी अधिक प्रदूषणकारी हो सकती है। पर्यावरण के बिगड़ते असंतुलन को देखते हुए तीनों श्रेणियों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जानी चाहिए। सभी इंडस्ट्रीज को आरबीसीबी और सीपीसीबी के सॉफ्टवेयर से लिंक करना चाहिए।
नियमित जांच करते हैं
रेड जोन में आने वाली 17 कैटेगरी की इंडस्टीज की ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जा रही है। सीपीसीबी से निर्देश मिलने पर ही ओरेंज और ग्रीन जोन में आने वाली इंडस्ट्रीज की ऑनलाइन किया जा सकता है। प्रदूषण नहीं हो वातावरण स्वच्छ रहे इसके लिए हम सभी इंडस्ट्रीज की नियमित जांच करते हैं।
बीआर पंवार, क्षेत्रीय अधिकारी, राजस्थान प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड
Published on:
25 Sept 2017 03:55 pm
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