
मेनार. इस वर्ष अच्छी बारिश से किसानों को बंपर पैदावार की उम्मीद है। लेकिन खेतों में सैकड़ों की तादाद में विचरण करने वाली रोजड़ों ने किसानों की नींद उड़ा रखी है। कड़ाके की ठण्ड में आवारा पशु किसानों के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। नीलगाय उनमें से एक हैं। ये फसल का अधिकांश भाग नष्ट कर देती हैं। किसान की फसल का बहुत हिस्सा आवारा पशुओं का निवाला बन जाता है। मेनार सहित निकटवर्ती रुंडेरा, नवानिया, केदारिया ,खेड़ली, बांसडा, खेरोदा, रामाखेड़ा, अमरपुरा खालसा, बाँसड़ा ग्रामीणों ने बताया कि रोजड़ों की बढ़ती संख्या से किसानों की नींद उड़ी हुई है। मेनार से सटे माल वाना-मेनार नर्सरी की सीमा से सटे इस क्षेत्र के गांवों में तो किसानों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।
प्रशासन की उदासीनता के चलते यह एक गम्भीर समस्या बन गई है। इस से किसान के साथ साथ राहगीर भी परेशान हैं अचानक सड़क पर आने से कई लोग मरे भी और घायल भी हुए हैं। वहीं कड़ी मेहनत से तैयार की गई फसलों को ये रोजड़े नेस्तनाबूत कर रहे हैं। वल्लभनगर कृषि अधिकारी मदन सिह शक्तवात के अनुसार इस वर्ष 23877 हेक्टयेर बीघा जमीन पर रबी फसल की बुवाई हुई है ।जैसे-जैसे फसलें अब बढ़ने लगी हैं, वहीं इनमें आवारा पशुओं द्वारा किए जाने वाले नुकसान की मात्रा भी बढ़ गई है। नीलगायों से न केवल फसल को ही नुकसान पहुंचता है अपितु जन हानि भी अधिक होती है। ये जीव सड़क पर दौड़ते हुए आ जाते हैं जिससे असामयिक लोग दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं । नीलगाय अक्सर रात्रि में सड़क पर वाहनों की लाइट्स की रोशनी देखकर आती है जिससे भी अधिक हादसे होने का कारण है ।
सबसे ज्यादा अफीम किसान परेशान
इन दिनों खेतों में अफीम की फसल लहलहा रही है। इस काले सोने को बेचकर किसान पीला सोना प्राप्त करते हैं, लेकिन इस काले सोने पर रोजड़ों का खतरा मंडरा रहा है। स्थिति यह है कि कड़ाके की ठंड के बावजूद काले सोने की फसल को बचाने के लिए किसान परिवार सहित रात भर चौकीदारी कर रहे हैं। रोजड़ों को डराने के लिए खेतो में चारों और चमकीली रंग-बिरंगी पट्टी बांध देते हैं। खेत पर बड़े-बड़े आकार के बजूका टांग देते हैं। रात में पटाखे छोड़कर इन्हें भगाने का प्रयास करते हैं। रात भर आग लगाकर चौकीदारी करते हैं। लेकिन इन उपायों से भी किसान रोजड़ों से अपने खेतों को नहीं बचा पा रहे हैं।
Published on:
24 Jan 2018 01:54 pm
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