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2 माह के बेटे को पालने में छोड़कर गया था पिता, 28 वर्ष बाद संत बनकर लौटा, मिले तो छलकी आंखें

उदयपुर जिले के सराड़ा उपखण्ड के जावद गांव से 28 वर्ष पहले घर से गायब हुआ पिता जब संत बन कर बेटे से मिला तो आंखें छलक आई। जावद गांव के लाल सिंह हीरावत ने बताया कि उन का छोटा भाई तख्त सिंह 7 जुलाई 1995 को नौकरी पर जाने को कह कर घर से निकला था।

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उदयपुर जिले के सराड़ा उपखण्ड के जावद गांव से 28 वर्ष पहले घर से गायब हुआ पिता जब संत बन कर बेटे से मिला तो आंखें छलक आई। जावद गांव के लाल सिंह हीरावत ने बताया कि उन का छोटा भाई तख्त सिंह 7 जुलाई 1995 को नौकरी पर जाने को कह कर घर से निकला था। 6 माह बाद तक कोई समाचार नहीं मिलने पर चिंता सताने लगी और आज दिन तक उसको ढूंढने का प्रयास किया गया परंतु कहीं पता नहीं लगा जिस दिन वह घर से गया उस समय उसका बेटा 2 माह का था वह 28 वर्ष का हो चुका है और बेटे से बड़ी दो बेटियां हैं। 24 साल साधना और भक्ति करने पर तख्त सिंह अब संत कृपालु महाराज बन गए।

संत के साथ पहुंचे गांव:

उज्जैन के महाकाल अखाड़ा और पितांबर गोशाला के भभूति महाराज संसघ धार्मिक यात्रा पर निकले हैं। यात्रा के दौरान जगत के पास कराकला गांव में विश्राम हुआ। इस दौरान संत कृपालु महाराज बन चुके तख्त सिंह सुबह भ्रमण को निकले तो उन्हें मामा के पुत्र ने पहचान लिया। संत उसके साथ घर गए और वहां भिक्षा मांगी। तख्तसिंह के मिलने की सूचना जावद गांव दी गई। इसके बाद परिवार के लोगों ने संत संघ से संपर्क किया और जावद आने का निमंत्रण दिया। इसके बाद संत संघ जावद पहुंचा और सभी परिवार जन से मुलाकात की।

पिता से मिलने की हमेशा रही ललक:

तख्त सिंह के पुत्र नाथू सिंह ने बताया कि समझदार होने के बाद उसे अपने पिता को देखने की ललक हमेशा लगी रही और आज दिन तक वह अपने पिता को ढूंढता रहा। 15 दिन पहले टीवी पर बागेश्वर महाराज के कार्यक्रमों को देखकर वहां पहुंचा और बागेश्वर धाम पर पिता से मिलने की अर्जी लगाई और ईश्वर की मर्जी हुई और मुझे पिता मिल गए।