अगर, पंचायत समिति के किसानों की बात करें तो औसतन 3.5 हजार हैक्टयर में मक्का, 4 हजार में सोयाबीन, 300 हैक्टेयर में उड़द, 500 में तुअर, 250 हैक्टेयर में धान की खेती होती है, जबकि शेष बची जमीन में किसान हल्दी, अदरक, रतालू, ज्वार, चारा जैसी खेती करते हैं। दूसरी ओर कृषि विभाग के पास इस बार किसानों के लिए 53 हैक्टयेर क्षेत्र में बुवाई जितना मक्का, 165 मिनी किट उड़द जौ की 4 किलो का एक किट है। 100 मिनी किट तुअर के अलावा कुछ भी सप्लाई नहीं है। ऐसे में मजबूर किसान बरसात के बीच सेठ साहूकारों के पास से औने-पौने दामों से बीज खरीदने को मजबूर हो रहे हैं। गौरतलब है कि पूर्व सरकार के कार्यकाल में जनजाति क्षेत्र के किसानों को नि:शुल्क बीज वितरण किया गया था।
इस बार बीज कम मात्रा में मिले हैं। समस्या यह है कि किस किसान को बीज दें और किसे छोड़ें। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले ६ हजार बीपीएल किसानों को तो बीज वितरण होता तो ठीक रहता।
शिवदयाल मीणा, कृषि पर्यवेक्षक, फलासिया
सरकार की तरफ से आया बीच चयनित किसानों के यहां फसल प्रदर्शन के लिए है। प्राप्त बीज कलस्टर के हिसाब से बांट दिया है। इस बार जनजाति क्षेत्र के किसानों के लिए कोई बीज आया है और न ही बजट। पूर्व में मक्का का बीज आया था, जो हमने नि:शुल्क बांटा था। काशीनाथसिंह, उपनिदेशक, कृषि विभाग, उदयपुर