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सरकारी अनदेखी ने आदिवासी अंचल के इन क्षेत्रों में किसानों को किया मायूस

locationउदयपुरPublished: Jun 24, 2019 01:37:47 pm

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

कर्ज माफी Debt relief of farmers के दावे कर राजनीतिक उल्लू सीधा करने में जुटी प्रदेश सरकार govt of rajasthan की सच्चाई हकीकत से कोसों दूर है। पंचायत समिति क्षेत्र के 123 राजस्व गांवों में रहने वाले किसानों की हकीकत कुछ ऐसी ही तस्वीर बयां कर रही है। पंचायत समिति क्षेत्र में सक्रिय 12 हजार किसानों farmers की ओर से कुल 11 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसल के लिए कृषि विभाग agriculture department के पास महज 53 हैक्टेयर क्षेत्र में बुवाई के लिए उपलब्ध बीज से ग्रामीण किसानों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है। मजबूर किसान अब बीज के लिए कृषि विभाग के कार्यालयों में चक्कर लगा रहा है।

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सरकारी अनदेखी ने आदिवासी अंचल के इन क्षेत्रों में किसानें को किया मायूस

उदयपुर/ फलासिया. कर्ज माफी के दावे कर राजनीतिक उल्लू सीधा करने में जुटी प्रदेश सरकार govt of rajasthan की सच्चाई हकीकत से कोसों दूर है। पंचायत समिति क्षेत्र के 123 राजस्व गांवों में रहने वाले किसानों की हकीकत कुछ ऐसी ही तस्वीर बयां कर रही है। पंचायत समिति क्षेत्र में सक्रिय 12 हजार किसानों की ओर से कुल 11 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसल के लिए कृषि विभाग agriculture department के पास महज 53 हैक्टेयर क्षेत्र में बुवाई के लिए उपलब्ध बीज से ग्रामीण किसानों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है। मजबूर किसान farmers अब बीज के लिए कृषि विभाग के कार्यालयों में चक्कर लगा रहा है।

अगर, पंचायत समिति के किसानों की बात करें तो औसतन 3.5 हजार हैक्टयर में मक्का, 4 हजार में सोयाबीन, 300 हैक्टेयर में उड़द, 500 में तुअर, 250 हैक्टेयर में धान की खेती होती है, जबकि शेष बची जमीन में किसान हल्दी, अदरक, रतालू, ज्वार, चारा जैसी खेती करते हैं। दूसरी ओर कृषि विभाग के पास इस बार किसानों के लिए 53 हैक्टयेर क्षेत्र में बुवाई जितना मक्का, 165 मिनी किट उड़द जौ की 4 किलो का एक किट है। 100 मिनी किट तुअर के अलावा कुछ भी सप्लाई नहीं है। ऐसे में मजबूर किसान बरसात के बीच सेठ साहूकारों के पास से औने-पौने दामों से बीज खरीदने को मजबूर हो रहे हैं। गौरतलब है कि पूर्व सरकार के कार्यकाल में जनजाति क्षेत्र के किसानों को नि:शुल्क बीज वितरण किया गया था।
किसे छोड़े और किसे दें
इस बार बीज कम मात्रा में मिले हैं। समस्या यह है कि किस किसान को बीज दें और किसे छोड़ें। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले ६ हजार बीपीएल किसानों को तो बीज वितरण होता तो ठीक रहता।
शिवदयाल मीणा, कृषि पर्यवेक्षक, फलासिया
जनजाति के नाम पर कुछ नहीं
सरकार की तरफ से आया बीच चयनित किसानों के यहां फसल प्रदर्शन के लिए है। प्राप्त बीज कलस्टर के हिसाब से बांट दिया है। इस बार जनजाति क्षेत्र के किसानों के लिए कोई बीज आया है और न ही बजट। पूर्व में मक्का का बीज आया था, जो हमने नि:शुल्क बांटा था। काशीनाथसिंह, उपनिदेशक, कृषि विभाग, उदयपुर
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