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Hariyali Amavasya: उदयपुर में लगता है अनूठा मेला, जहां केवल महिलाओं को मिलता है प्रवेश; दिलचस्प है इसका किस्सा

उदयपुर हरियाली अमावस्या मेले का इतिहास : ऐसी मान्यता है कि 1898 में हरियाली अमावस्या के दिन तत्कालीन महाराजा महाराणा फतेह सिंह महारानी चावड़ी के साथ फतेहसागर झील पहुंचे थे।

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Hariyali Amavasya Udaipur unique fair, where only women get entry; Know its interesting story

उदयपुर। राजस्थान में समय-समय पर मेले का आयोजन होता रहता है। ऐसा ही एक मेला हरियाली अमावस्या के दिन उदयपुर में आयोजित होता है। यह दो दिवसीय मेला अपने आप में खास है, क्योंकि इस मेले के दूसरे दिन केवल महिलाओं को ही प्रवेश की अनुमति होती है। संभवतः यह दुनिया का एकमात्र मेला है जहां पुरुषों का प्रवेश वर्जित है। इस साल यह मेला हरियाली अमावस्या के दिन 4 अगस्त को आयोजित हो रहा है। आइए जानते हैं इस मेले से जुड़ी दिलचस्प कहानी।

उदयपुर हरियाली अमावस्या मेले का इतिहास

ऐसी मान्यता है कि 1898 में हरियाली अमावस्या के दिन तत्कालीन महाराजा महाराणा फतेह सिंह महारानी चावड़ी के साथ फतेहसागर झील पहुंचे थे। यह वह झील है जिसे उदयपुर की धड़कन कहा जाता है। पहुंचने के बाद लबालब भरे फतेहसागर को देखकर वे बहुत खुश हुए। उन्होंने यहां पहली बार शहर में मेले के रूप में जश्न मनाया। तब चावड़ी रानी ने महाराणा फतेह सिंह से मेले में केवल महिलाओं को जाने की अनुमति देने को कहा था। इस पर महाराणा ने मेले का दूसरा दिन केवल महिलाओं के लिए रखने की घोषणा कर दी। तब से, पहला दिन पुरुषों और महिलाओं सहित आम जनता के लिए होता था, जबकि दूसरे दिन यह मेला केवल महिलाओं के लिए आयोजित किया जाता है। यह परंपरा गत 125 सालों को ऐसे ही चलती आ रही है।

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जानें इस बार मेले में क्या होगा खास

इस बारशहर में परंपरागत हरियाली अमावस्या का मेला 4 व 5 अगस्त को लगेगा। उदयपुर हरियाली अमावस्या मेला पर्यटन स्थल सहेलियों की बाड़ी, सुखाड़िया सर्किल और फतेहसागर झील पर लगता है। इस कारण मेले में पर्यटक के साथ भारी संख्या में स्थानीय लोग पहुंचते हैं। मेले को लेकर उदयपुर नगर निगम की तैयारियां जोरों पर हैं। निगम के मुताबिक, इस साल मेले की कुल 855 में से 550 दुकानों की नीलामी कर चुका है। इसके तहत मेले में चकरी और डोलर जैसे झूले आकर्षण का केंद्र होंगे। महिलाओं और बच्चों के मनोरंजन के लिए यहां पर खाने-पीने की चीजों के अलावा खिलौने, कपड़े व मनिहारी सामान की भी दुकानें लगेगी। मेले में भाग लेने वालों के लिए स्थानीय नृत्य का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें राजस्थानी संस्कृति का प्रदर्शन किया जाएगा।

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