——
– महाराणा भूपाल हॉस्पिटल में गत दिनों खोली गई चिकित्सा मंत्री हैल्प डेस्क बिलकुल नाकारा है, किसी काम की नहीं, यहां जो कार्मिक बिठाएं गए हैं, ना तो वे पूरी तरह से हॉस्पिटल की व्यवस्थाओं से वाकिफ हैं और ना ही कैसे किसी की मदद करनी है, ये उन्हें मालूम हैं। यदि आप इस हैल्प डेस्क पर किसी उम्मीद से पहुंचते हैं, तो ये फिलहाल पूरी नहीं होगी।
– महाराणा भूपाल हॉस्पिटल में गत दिनों खोली गई चिकित्सा मंत्री हैल्प डेस्क बिलकुल नाकारा है, किसी काम की नहीं, यहां जो कार्मिक बिठाएं गए हैं, ना तो वे पूरी तरह से हॉस्पिटल की व्यवस्थाओं से वाकिफ हैं और ना ही कैसे किसी की मदद करनी है, ये उन्हें मालूम हैं। यदि आप इस हैल्प डेस्क पर किसी उम्मीद से पहुंचते हैं, तो ये फिलहाल पूरी नहीं होगी।
—– आप वहां से पूछ लीजिए… भीलवाड़ा से गणेशलाल यहां पहुंचे थे मदद मांगने के लिए। उन्हें डॉ असित मित्तल, वरिष्ठ विशेषज्ञ त्वचा से मिलना था, उनके मोबाइल नम्बर की जरूरत थी, जिसे यहां से उपलब्ध नहीं करवाया गया। उल्टे उन्हें यह कहकर चलता कर दिया गया कि बाहर से पूछ लीजिए।
—– इसलिए खोली गई थी हैल्प डेस्क इमरजेंसी परिसर में 102 नम्बर पर फोन करने पर सहायता देने व किसी को भी मदद की दरकार पर सबसे सरल मार्ग बताने के लिए इसकी शुरुआत की गई है। यहां पर एक चिकित्सक को ऑन कॉल, एक नर्सिंगकर्मी व एक वार्ड बॉय को लगाया जाना था, जबकि केवल एक व्यक्ति ही यहां रहता है, वह भी ऐसा जिसे चिकित्सालय का पूरा ज्ञान नहीं हो। बुधवार शाम को यहां पर मौजूद एक नर्सिंग कार्मिक ने यह स्वीकारा कि उन्हें किसी प्रकार का कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया। उन्हें चिकित्सालय की भी पूरी जानकारी नहीं है, प्रयास करते है कि सबकी सहायता कर सकें।
—– मैं कल गया था वहां, जिसकी ड्यूटी थी वह वहां नहीं मिले मैं कल काफी समय तक वहां पर बैठा था, जिसकी ऑफिशियल ड्यूटी वहां लगाई गई थी, वह वहां मौजूद नहीं थे, उनकी जगह किसी महिला नर्सिंगकर्मी को बिठाया गया था। ऐसा होना ही नहीं चाहिए। जल्द ही सभी को इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे ये समझ जाए कि वहां पर बैठकर करना क्या है।
डॉ लाखन पोसवाल, अधीक्षक महाराणा भूपाल हॉस्पिटल उदयपुर