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उदयपुर पुलिस का ऐसा चेहरा आया सामने जिस पर एकबारगी आपको भी नहीं होगा यकीन, पढ़ें पूरी खबर

उदयपुर पुलिस का हाई प्रोफाइल अपराधियों को संरक्षण देने का रवैया सामने आया है।

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high profile police case of udaipur

उदयपुर पुलिस का हाई प्रोफाइल अपराधियों को संरक्षण देने का रवैया सामने आया है। मामला अवैध विस्फोटक सामग्री से जुड़ा है। दो ट्रकों में अवैध विस्फोटक सामग्री मिलने के मामले में उदयपुर पुलिस ने हाई प्रोफाइल असली चेहरों को न सिर्फ बचाया बल्कि प्रकरण बंद करने के लिए कुछ ऐसे लोगों को गिरफ्तार कर लिया, जिनका मामले से कोई लेना-देना ही नहीं है। यहां तक कि उन्हें जेल भिजवा दिया। मामला गृहमंत्री तक पहुंचा तो एटीएसए-एसओजी को जांच सौंपी गई। यहां उदयपुर एटीएस की एडिशनल एसपी रानू शर्मा को जांच दी गई है।

सूत्रों के अनुसार जांच अधिकारी ने प्रकरण से जुड़ी फाइल के पन्ने पलटे तो हाइप्रोफाइल लोगों को बचाने की एक के बाद एक जुगत सामने आती गई। हालांकि उदयपुर पुलिस द्वारा गिरफ्तार व्यक्ति को एटीएस ने अभी क्लीन चिट नहीं दी है। सूत्र बताते हैं कि अभी तक की जांच में गिरफ्तार आरोपित के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं।

फिल्मी स्टाइल में बदले थे विस्फोटक से भरे ट्रक

उदयपुर पुलिस ने गिरफ्तारियां की, उसी मामले में एटीएस ने और गिरफ्तारियां की हैं। एसओजी के सुपरविजन में मामले की गहन जांच चल रही है।
उमेश मिश्रा, एडीजी, एटीएस-एसओजी, राजस्थान

सब ऑनलाइन, फिर भी..

एटीएस को कंपनी अधिकारियों ने बताया कि सबकुछ ऑनलाइन है। जहां माल पहुंचाना होता है, वहां तक वाहन पर नजर रहती है। आगे डीलर किसे माल देता है, यह जिम्मेदारी उसकी होती है। उक्त बारकोड वाला विस्फोटक दीपक फर्टिलाइजर से पेटी नाइट्रेट कंपनी को भेजा गया था। पेटी नाइट्रेट का मालिक टीवी सुब्रमण्यम् शर्मा और डायरेक्टर सर्वेश्वर राव है। एटीएस ने सर्वेश्वर को गिरफ्तार कर लिया। डायरेक्टर ने बताया कि माल तो सुरेन्द्रपाल चौधरी और राहुल आगीवाल ने मंगाया था। फिर एटीएस ने अजमेर के सुरेन्द्रपाल को गिरफ्तार किया। जबकि राहुल फरार चल रहा है।

कट्टों ने पहुंचाया असली चेहरों तक

एटीएस जांच अधिकारी की टीम ने थानों में रखे विस्फोटक के कट्टों को अच्छी तरह खंगाला, जहां उदयपुर पुलिस ने कट्टों पर कोई निशान नहीं बताया। वहीं एटीएस को कट्टों पर निर्माण फैक्ट्री का बारकोड मिला, जो देश में ही दीपक फर्टिलाइजर नाम से अमोनियम नाइट्रेट बनाती है। एटीएस की टीम कंपनी के अधिकारियों तक पहुंची, तब मामले की परतें खुली।

उदयपुर पुलिस की यह रही कार्रवाई

वर्ष 2016 में उदयपुर की प्रतापनगर और सुखेर थाना पुलिस ने अमोनियम नाइट्रेट के कट्टों से भरा एक-एक ट्रक पकड़ा। प्रतापनगर पुलिस ने लाखों कीमत के विस्फोटक से भरे 306 कट्टों पर कुछ भी लिखा नहीं पाया। मामले में मुख्य आरोपितों को बचाते हुए और ट्रक चालक रामसिंह को आधार मानते हुए आगे की कार्रवाई का चक्रव्यूह रचती गई। रामसिंह के जरिए न्यू राजस्थान ट्रांसपोर्ट कंपनी के मालिक सुरेश गुप्ता को गिरफ्तार किया।

सुरेश की निशानदेही पर बुकिंग एजेंट रवि चुग को पकड़ा। रवि ने इंदौर में अमोनियम नाइट्रेट की फैक्ट्री चलाने वाले महेन्द्र बाहेती का माल होना बताया। इस पर पुलिस ने 8 अगस्त 2017 को महेन्द्र बाहेती को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया। बाहेती के परिजन गृह मंत्री से मिले, तब अक्टूबर 2016 को फाइल एसओजी-एटीएस को भेजी गई थी। सूत्र बताते हैं कि बाहेती परिवार भी इस कारोबार से जुड़ा था। इसके चलते उदयपुर वाले प्रकरण में भी पुलिस ने बाहेती परिवार को आरोपित बनाया।


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