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निराश्रितों की सूनी जिंदगी में जगाई ‘उम्मीदों की किरण

locationउदयपुरPublished: Oct 14, 2019 05:48:37 pm

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

human story सालेरा खुर्द गांव में समिधा संस्थान चला रहा है बालगृह, ग्रामीण इलाकों में पहली बार हुई बालगृह की स्थापना, 28 से अधिक अनाथ बच्चों को उपलब्ध करा रहे सेवाएं

निराश्रितों की सूनी जिंदगी में जगाई 'उम्मीदों की किरण

निराश्रितों की सूनी जिंदगी में जगाई ‘उम्मीदों की किरण

शुभम कड़ेला/ मावली. human story जिंदा रहने के लिए जिनकी हर सुबह दो जून की रोटी के जुगाड़ से शुरू होती है। जिनकी जिंदगी में ने तो कोई त्योहार है और न ही किसी का प्यार। जिन्हें देखकर लोग अक्सर दुत्कारने का मन बना लेते हैं। उन मासूमों जिंदगी को ग्रामीण इलाकों में उम्मीदों की एक नई किरण दिखाई दी है। कहे तो ग्रामीण इलाकों में एक निजी संस्था ने निराश्रित बच्चों को लायक बनाने का बीड़ा उठाया है। जी हां! हम बात कर रहे हैं मावली के सालेरा खुर्द स्थित समिधा संस्थान की। गैर सरकारी संगठन के तौर पर विकसित संस्था ने पहले चरण में 28 निराश्रित बच्चों का भविष्य बनाने का जिम्मा उठाया है। सुविधा के तौर पर बालगृह में अनाथ बच्चों को शिक्षा, आवास और चिकित्सा सेवाएं दी जा रही हैं। संस्था की सामाजिक सरोकार से जुड़ी इस मुहिम से बच्चों का भविष्य क्या होगा। यह तो समय बताएगा, लेकिन इतना जरूर है कि संस्था की इस पहल से बेसहारा और भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को उनका अपना मार्गदर्शक मिल गया है।
सामाजिक सरोकार से ओत-प्रोत
हकीकत में गरीब बेसहारा जिंदगियों को सहारा देने की पहल संस्थान अध्यक्ष चंद्रगुप्त सिंह चौहान ने की है। बातचीत में चंद्रगुप्त ने बताया कि बालगृह की स्थापना 23 मार्च को हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक सरोकार का है। चौहान ने बताया कि कई बार बच्चे संसाधन एवं सुविधाओं के अभाव में भविष्य पर ध्यान नहीं दे पाते। आगे जाकर उन्हें परेशानी से जूझना पड़ता है। इस उद्देश्य को लेकर बच्चों को शैक्षणिक वातावरण में शारीरिक, मानसिक व तार्किंकता के साथ सर्वांगीण विकास की पहल कर रहे हैं। इसके लिए संस्थान निरंतर प्रगतिरत है।
वर्तमान में 28 बच्चे
उदयपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र के प्रथम बालगृह में वर्तमान में जिलेभर के गांव-गांव से निराश्रित बच्चे निवास कर सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। मुख्यत: जिले के मावली, गिर्वा और झाड़ोल तहसील के अनाथ बच्चे बालगृह में है। इसमें मावली तहसील के बच्चों की संख्या सर्वाधिक है। निरन्तर संख्या बढ़ाने का प्रयास जारी है।
तय है बच्चों की दिनचर्या
संस्थान अध्यक्ष चौहान ने बताया कि प्राकृतिक वातावरण में स्थित समिधा बालगृह में सभी कार्य निश्चित समय सारिणी के अनुसार होते हैं। बच्चों को अनुशासित बनाने के लिए सुबह 5 बजे उन्हें उठाया जाता है। रात 10 बजे बच्चों को बिस्तर पर सोने के लिए जाना होता है। इस अवधि में बालकों केा योग, आसन, प्राणायाम की शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा प्रतिदिन वॉलीबॉल जैसे खेल भी खिलाए जाते हैं। सुविधाएं इस प्रकार की हैं कि बालकों को वहां रहकर गांव की कमी नहीं खलती। सचिव राघव चर्तुवेदी, उपाध्यक्ष महादेवसिंह, वॉलंटियर्स घनश्याम कुंवर, शैलेन्द्र चौबीसा, राम निवास चुलैट, नरेश मेघवाल भी उनके स्तर पर सेवाएं देते हैं।
वोकेशनल ट्रेनिंग भी
बालगृह में जल्दी ही वोकेशनल कैंपस ट्रेनिंग शुरू होने वाली है। इसके तहत बच्चों को कम्प्यूटर रिपेयर, कुर्सी बनाने, दरी बनाने जैसी गतिविधियों से भी जोड़ा जाएगा। ताकि वह आत्मनिर्भर भी बन सकें। बालगृह का हाइकोर्ट न्यायाधीश डॉ. पुष्पेंद्रसिंह भाटी, चित्तौडगढ़ सांसद चंद्रप्रकाश जोशी, मावली विधायक धर्मनारायण जोशी, मावली प्रधान जीतसिंह चूण्डावत सहित अन्य लोगों ने निरीक्षण भी किया है। human story उनकी ओर से संस्थान के प्रयासों को सराहा भी जा चुका है।
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