ऐसे हुआ सौदा सोनिका एवं युवक के परिजनों ने उनके बेटे को एम्बुलेंस चालक को देने का फैसला किया। परिजनों ने एम्बुलेंस चालक से चार लाख रुपए की मांग की, लेकिन राशि ज्यादा होने से सौदेबाजी का दौर शुरू हुआ। आखिर सौदा करीब ढाई लाख रुपए में हुआ। इसमें समाज के ऐसे पंच भी शामिल हुए जो स्थानीय स्तर पर सामाजिक फैसले लेते हैं। आखिरकार बच्चा अब सोनिका से दूर सलोनी की गोद में पहुंच गया।
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मासूम को पालने के लिए छोड़ी नौकरी बच्चा सलोनी को देने से पूर्व किसी की सलाह पर 500 रुपए के स्टाम्प पर बच्चे की तकदीर यानी गोदनामा लिखा गया। बाद में वह एम्बुलेंस चालक और आया की आंखों का तारा हो गया। सलोनी बेहद खुश है क्योंकि मां बनने की उसकी आशा पूरी हो चुकी है। सलोनी ने उसे पालने के लिए अपनी संविदा नौकरी तक छोड़ दी है।
—– दत्तक मां-बाप को बच्चा छीनने का भय गोद लेने वाले माता-पिता से जब पत्रिका ने बातचीत की तो वे काफी डरे हुए थे और सोच रहे थे कि कहीं बच्चे को उनसे कोई छीन न ले। पिता ने उस बच्चे का फोटो अपने मोबाइल की स्क्रीन पर लगा रखा है।