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जल स्वावलंबन अभियान: जनता दूर जनप्रतिनिधि भी अनभिज्ञ, सरकारी दावों की खुली पोल, समझाइश के अभाव में जनता ही उतरी विरोध में

उदयपुर . मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान में जनता की भागीदारी और सफलता को लेकर सरकार भले ही लाख दावे करें लेकिन असलियत कुछ और ही है।

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jal swawlamban abhiyan at udaipur

उदयपुर . मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान में जनता की भागीदारी और सफलता को लेकर सरकार भले ही लाख दावे करें लेकिन असलियत कुछ और ही है। पत्रिका टीम ने शनिवार को उदयपुर की गोगुन्दा पंचायत समिति में इस अभियान के तहत किए कार्यों की पड़ताल की तो पोल खुलकर सामने आ गई। हालात ऐसे हैं कि जनता तो दूर इस अभियान के बारे में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को तक को पता नहीं है कि आखिर इसमें हो क्या रहा है, कौन काम कर रहा है, क्या किया जा रहा है, किसके पैसे खर्च हो रहे हैं?


गोगुन्दा के ग्राम मजावद में सामने आया कि अभियान के तहत काम शुरू करने के लिए जब जलग्रहण, वन, कृषि, जल संसाधन, महात्मा गांधी नरेगा, उद्यानिकी, पंचायतीराज, जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी और भूजल आदि विभागों का अमला वहां पहुंचा, तो ग्रामीणों ने पहाड़ों से बहकर आने वाले वर्षा जल को रोकने के लिए ट्रेंच तक नहीं खुदने दी। लोग एक्सक्वेटर मशीन के आगे लेट गए। बड़ी मुश्किल से एक किसान को राजी किया और उसके खेत-बाड़े से रास्ता बनाकर पहाड़ी तक पहुंचे और वहां ट्रेंच व नाडिय़ां बनाई। अब भी ज्यादातर ग्रामीण इसके विरोध में हैं। उन्हें डर है कि सरकार उनके खेतों में ट्रेंच खोदकर उन्हें खराब कर देगी।


मुख्यमंत्री ने बनवाई है नाडिय़ां-सरपंच
मजावद सरपंच निर्मला देवी से जब जल संरक्षण कार्यों के बारे में पूछा तो जानकारी नहीं दे सकी। इतना बताया कि मुख्यमंत्री ने ये नाडिय़ां बनवाई हैं।

इसलिए विरोध
मजावद के उपसरपंच भरत ने बताया कि ग्रामीणों ने इस अभियान का विरोध किया कि उनके खेत की मिट्टी चली जाएगी, पानी बह जाएगा। बाद में समझाइश की। इसमें गांववालों का कोई सहयोग नहीं है, पूरे पैसे सरकार ने खर्च किए हैं।

अभियान से दूर है जनता
राज्य सरकार यह दावे कर रही है कि प्रदेश की जनता जल स्वावलंबन अभियान में जुट गई है, लेकिन गोगुन्दा में पड़ताल मे सामने आया कि यह अभियान पूरी तरह सरकारी अभियान साबित हो रहा है। जनता इससे जुड़ नहीं पा रही है। सांसद-विधायक मजबूरी में अपने कोष से पैसा दे रहे हैं। विभागों का पैसा इस अभियान पर खर्च किया जा रहा है। अभियान को शुरू करने से पहले जनजाग्रति करनी चाहिए थी। जनता को इसके अच्छे परिणामों के बारे में अवगत करवाना चाहिए था।

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बगैर पूरी तैयारी के ही अधिकारियों को पैसा खर्च करने के निर्देश दे दिए। ऐसे में वे अपनी उपलब्धि दिखाने के लिए जनता की गाढ़ी कमाई को खर्च कर वाहवाही लूटने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं। प्रदेश ही नहीं देश भर में सफलता का ढिंढोरा पीटने की कवायद शुरू कर दी गई है। जन भागीदारी के बगैर जल स्वावलंबन की सफलता की कामना आखिर कैसे की जा सकती है?

ग्रामीण चला रहे हैं पौधों पर कुल्हाड़ी
मजाम गांव स्थित जोगियों का गुढा में जल स्वावलंबन के तहत वन विभाग के स्वामित्व वाली पड़ाड़ी व तलहटी में टे्रंच खोदकर पौधे लगाए गए हैं। उन पौधों के बड़े होने से पहले ही ग्रामीण उन पर कुल्हाड़े चला देते हैं। इस बारे में जल स्वावलंबन से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि ग्रामीणों को यह डर है कि इस तरह से कहीं उनके खेत की जमीन पर कहीं सरकार कब्जा नहीं कर ले, इसलिए वे इस काम में रोड़े डाल रहे हैं। इस बारे में उपखंड अधिकारी अंजलि राजोरिया ने बताया कि ग्रामीणों की समझाइश की जाएगी।