6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पहले न्यायिक अभिरक्षा के आदेश, फिर ली जमानत, विरोध में बार एसोसिएशन

judicial work तहसीलदार के विरोध में उपखण्ड अधिकारी को सौंपा ज्ञापन, शक्तियों का दुरुपयोग के आरोप

2 min read
Google source verification
पहले न्यायिक अभिरक्षा के आदेश, फिर ली जमानत, विरोध में बार एसोसिएशन

पहले न्यायिक अभिरक्षा के आदेश, फिर ली जमानत, विरोध में बार एसोसिएशन

उदयपुर/ सलूम्बर. judicial work कार्यपालक मजिस्टे्रट की अदालत में गिरफ्तार आरोपी को पहले न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के आदेश देना और बाद में जमानत लेने वाला मामला बुधवार को तूल पकड़ लिया। बार एसोसिएशन ने पीठासीन अधिकारी तहसीलदार पर दुर्भावनाग्रस्त होकर आदेश देने का विरोध किया। साथ ही उपखण्ड अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर तहसीलदार स्तर पर शक्तियों का दुरुपयोग करने के आरोप लगाए। साथ ही तहसीलदार को पद से हटाने की मांग की।
बार एसोसिएशन अध्यक्ष राजकुमार जैन के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने तहसीलदार के खिलाफ उपखंड अधिकारी मणिलाल तीरगर को ज्ञापन सौंपा। बताया कि सलूंबर थाने में दर्ज प्रकरण 230/19 के अपराध अंतर्गत धारा 107, 151 के तहत दो आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस ने तहसीलदार नारायणलाल जीनगर के समक्ष पेश किया, जहां से दोनों आरोपियों की ओर से अधिवक्ता रणजीत पूर्बिया ने पैरवी की। आरोप है कि तहसीलदार ने राजनीतिक दबाव के चलते किसी राजनीतिक पदाधिकारी के इशारे पर दोनों आरोपियों के न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के आदेश दिए। आदेश का इंद्राज रजिस्टर में दर्ज भी किया। यहां पर पैरवी कर रहे अधिवक्ता की तहसीलदार ने नहीं सुनी। लेकिन, बाद में राजनीतिक प्रभाव रखने वाले अधिवक्ताओं के कहने पर आरोपियों को जमानत दे दी। इस मामले की जानकारी जब अन्य अधिवक्ताओं को मिली तो उन्होंने मामले से उपखण्ड अधिकारी को अवगत कराया। साथ ही तहसीलदार पर न्याय प्रक्रिया का बट्टा लगाने जैसे आरोप लगाते हुए तहसीलदार का पदच्युत करने की मांग की।

जांच होनी चाहिए
तहसीलदार ने राजनीतिक पदाधिकारी के इशारे पर फैसला सुनाया। यह न्यायिक प्रक्रिया के विपरीत और निंदनीय है। मामले की जांच होनी चाहिए।
राजकुमार जैन, बार एसोसिएशन अध्यक्ष

सही किया निर्णय
बार एसोसिएशन की ओर से लगाए गए आरोप निराधार हैं। मैंने कानूनी नियमावली के तहत निर्णय दिया है।
नारायणलाल जीनगर, तहसीलदार

फिर बदले आदेश
राजनीतिक पदाधिकारी के इशारे पर पहले दोनों आरोपियों को जेल भेजने के आदेश दिए। अन्य अधिवक्ता से बातचीत के बाद जमानत दी। judicial work इससे न्याय प्रक्रिया की छवि धूमिल हुई है।
रणजीत पूर्बिया, अधिवक्ता


बड़ी खबरें

View All

उदयपुर

राजस्थान न्यूज़

ट्रेंडिंग