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फीकी रही कानोड़़ की दिवाली, पूरी नहीं हुई तहसील की आस

कानोड़ को तहसील बनने का सपना इस दिवाली पर भी पूरा नहीं हो पाया

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चंदनसिंह देवड़ा/कमलाशंकर श्रीमाली

उदयपुर . जिले के कानोड़ को तहसील बनने का सपना इस दिवाली पर भी पूरा नहीं हो पाया। 28 दिनों तक तहसील के लिए आंदोलन के बाद सरकार ने झुकते हुए तहसील बनाने का ऐलान कर दिया। लेकिन विधायक रणधीर सिंह भीण्डर द्वारा की गई तहसील की घाेेेषणा नगरवासियों को महज औपचारिकता लगने लगी है। लोगों को आशा थी कि इस बार की दीपावली उनके लिए खुशियां लाएंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अभी तक कानोड़ को तहसील बनाने की अधिकृत स्वीकृति नहीं हुई है।


उदयपुर जिले के वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र के कानोड़ को तहसील बनाने की घोषणा को सात माह बीतने के बाद भी तहसील शुरू होना तो दूर दस्तावेजों में भी यह कस्बा तहसील का दर्जा हासिल नहीं कर पाया है । इस दीपावली तक तो सभी को उम्मीद थी तहसील की सौगात की अधिकृत घोषणा हो जाएगी लेकिन प्रशासनिक अधिकारी बस एक ही रटारटाया जावाब दे रहे हैं कि प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जल्द तहसील का दर्जा मिल जाएगा । तहसील पाने के लिए कानोड़वासी 40 वर्षों से संघर्षरत हैं। जब अचानक राज्य सरकार ने भीण्डर तहसील की घोषणा कर दी यह बात नगरवासियों को रास नही आई और आंदोलन शुरू हो गया। 28 दिनों तक चले इस आंदोलन में सरकार को झुका दिया।

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क्षेेेत्र के जनता सेना विधायक पर तरह-तरह के आरोप लगे। पालिका अध्यक्ष समेत तमाम कानोड़ के जनप्रतिनिध व्यापारी आम आदमी इस आंंदोलन से जुड़ गया। अंत मे घोषणा हुई कि कानोड़ तहसील बन गई। लेकिन कागजोंं में अभी तक कानोड़ को तहसील का तमगा नहीं लगा है। ऐसे में लोग सरकार को उसका वादा याद दिला रहे हैं। गौरतलब है कि कानोड़ कस्बे को आजादी से पूर्व तहसील का दर्जा प्राप्त था जब जिला सराड़ा लगता था लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए कस्बे का तहसील का दर्जा समाप्त कर वल्लभनगर को दे दिया गया और उसके बाद जब भीण्डर को तहसील बनाने की घोषणा हुई तो हंगामा हो गया। इस दिवाली कानोड़ की आस अधूरी ही रह गई।