
iim udaipur
देश में 16 भारतीय प्रबंध अध्ययन संस्थान हैं, लेकिन यातायात नियमों की पालना में आईआईएम-यू अनूठा है। देश के सभी युवा इन विद्यार्थियों की भांति यातायात नियमों को नैतिक जिम्मेदारी मानें तो यकीनन सड़क हादसों का ग्राफ उतरेगा, वहीं सुरक्षित आवागमन तय हो पाएगा।
आईआईएम-यू की स्थापना 2011 में हुई। मोरल ड्यूटी के तहत स्वयं विद्यार्थियों ने ट्रेफिक रूल फॉलो करना शुरू कर दिया। गत पांच साल में आईआईएम-यू के एक भी विद्यार्थी का पुलिस चालान नहीं कर पाई है। नैतिक जिम्मेदारी से एक विद्यार्थी की जान भी बच चुकी है।
कुछ दिन पहले आईआईएम-यू का एक विद्यार्थी कैंपस में बाइक से जा रहा था, तभी अचानक सड़क के बीच आई गाय से उसकी जोरदार टक्कर हुई। बाइक से गिरने के बाद विद्यार्थी का सिर सड़क किनारे पडे़ पत्थर से टकराया तो यह नजारा देखने वालों के होश उड गए। मगर विद्यार्थी ने अच्छी क्वालिटी का हेलमेट पहन रखा था जिससे उसकी जान बच गई।
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विद्यार्थियों के लिए ये हैं नियम
कैंपस में बाइक चलते समय अच्छी क्वालिटी का हेलमेट पहनना अनिवार्य है। बाइक पर दो से ज्यादा लोग नहीं बैठ सकते हैं। कैंपस में भी कार चलाते समय सीट बेल्ट बांधनी होगी। अगर विद्यार्थी नियम की अवहेलना करता है तो कोई भी विद्यार्थी, कर्मचारी, शिक्षक इसकी शिकायत स्टूडेंट्स कौंसिल में कर सकता है। इस पर विद्यार्थी को पांच सौ रुपए का जुर्माना भरना पड़ता है। तीन बार से ज्यादा नियम तोडऩे वाले विद्यार्थी पर पाठ्यक्रम पूर्ण होने तक बाइक चलाने पर प्रतिबंधित लगा दिया जाता है। पेनल्टी से जमा राशि को वर्ष के अंत में सामाजिक गतिविधियों पर खर्च होती है या सही मायन में जनहित कार्य करने वाले एनजीओ को दान दे दी जाती है।
हम विद्यार्थियों के साथ मिलकर नियम बनाते हैं। इनकी पालना हमारी संस्कृति और नैतिक जिम्मेदारी है। नियम पालना के लिए किसी विद्यार्थी पर दबाव नहीं बनाया जाता है।
प्रो. जनत शाह, निदेशक आईआईएम उदयपुर
Published on:
21 Sept 2016 01:18 pm
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