…….. अपने इन जिलों के इतने सैनिक सीमा की सुरक्षा तक पहुंचे-2019 उदयपुर . 1964 राजसमन्द. 3052 डूंगरपुर. 292 बांसवाड़ा. 73 प्रतापगढ़. 54 …. इतने हो गए अमर शहीदपाकिस्तान से हमारी जंग हो या कारगिल युद्ध, ऑपरेशन पवन, रक्षक या मेघदूत हो चाहे पराक्रम का आमना-सामना हो। हर बार हमारे वीरों ने खुद को मिटाकर देश का सिर गर्व से ऊंचा किया।ये हैं मेवाड़ के सपूत जो हो गए सीमा पर न्यौछावर-9 महार यूनिट के सिपाही सगतसिंह कुंटवा, नाथद्वारा- सिपाही अजायब सिंह, पावटिया, भीम – एएससी के ड्राइवर गमेर सिंह, खुमानपुरा नाथद्वारा तीनों भारत-पाकिस्तान की 1965 की जंग में शहीद हो गए।
—– भारत-पाकिस्तान की 1971 में हुई जंग में राइफ ल मेन बवानसिंह, राइफ ल मेन त्रिलोकसिंह, गार्डसमेन रामजी, ग्रेनेडियर चतनसिंह, गनर देवीसिंह, सिग्नलमेन कालिया, ग्रेनेडियर नगजी, केशर खान, किशनसिंह और गाडर््समेन हुका ने खुद को देश के नाम कर दिया। ये सैनिक उदयपुर, डूंगरपुर और राजसमन्द जिलों के हैं।….अन्य लड़ाइयों में भी हुए कुर्बान. लांस नायक औंकारसिंह. ऑपरेशन ब्लू स्टार 1984. सिपाही नरेन्द्रसिंह. पवन 1987. हवलदार भरतलाल पवन 1988. ग्रेनेडियर भंवर. रक्षक 1996. नायक रतनसिह. रक्षक 1998. सिपाही नारायणसिंह. कारगिल 2000. कांस्टेबल रतनलाल . पराक्रम 2002. लेफ्टिनेंट अर्चित वर्डिया. मेघदूत 2011. लेफ्टिनेंट अभिनव नागोरी. नौ सेना 2015. हवलदार निम्बहिसंह रावत. रक्षक, जम्मू.कश्मीर 2016. सिपाही हर्षिद भदोरिया, रक्षक, जम्मू.कश्मीर 2016. हवलदार नारायणलाल गुर्जर. पुलवामा आतंकी हमला 2019. सिपाही शिवपालसिंह-बीकानेर फायरिंग रेंज-2019. एम नायक परवेज-ऑपरेशन रक्षक, 2019
—- शौर्य पदक धारी वीर. बिग्रेडियर रणशेरसिंह . कीर्ति चक्र 1971. कमांडर केशरसिंह पंवार. वीर चक्र 1971. हवलदार दुर्गाशंकर पालीवाल. वीर चक्र 1971 . सिपाही चतरसिंह. विशेष उल्लेख 1971.
स्क्वाड्रन लीडर अतुल त्रिवेदी. शौर्य चक्र 1979. कर्नल गोपीलाल पानेरी. शौर्य चक्र 1983. मेजर भीष्मकुमारसिंह. विशेष उल्लेख 1988. हवलदार बाबूसिंह. विशेष उल्लेख 1990. कैप्टन उत्तम दीक्षित. सेना मेडल 1996. नायब सुबेदार प्रतापसिंह- सेना मेडल 1996.
कर्नल महेन्द्रसिंह हाड़ा. सेना मेडल 2001. सुबेदार, ऑ.लेफ्टि नाथुसिंह राणावत. सेना मेडल 2001 . विंग कमांडर प्रशान्त मोहन. वायु सेना मेडल 2009. कैप्टन प्रशान्तसिंह. शौर्य चक्र 2009. मेजर प्रतीक मलिक. सेना मेडल 2013.
कैप्टन दीपक कुमार. सेना मेडल 2015. मेजर रजत व्यास. सेना मेडल 2018 हमारी इस धरा से कई सैनिकों ने देश के नाम खुद को न्यौछावर किया है, तो कई सैनिक आज भी सीमा पर दुश्मनों के सामने डटे हुए हैं। मेवाड़ की माटी वीरों को पैदा करने वाली धरती है।
—–