
केरल में निपाह वायरस से मरीजों को बचाने वाली नर्स लिनी की तरह ही उदयपुर में भी हैं कई 'लिनी'
भुवनेश पण्ड्या / उदयपुर . ‘केरल में निपाह वायरस के मरीजों का इलाज करते नर्स लिनी की मौत ने नर्सिंग कर्मियों के कार्य के प्रति समर्पण में एक नया पन्ना जोड़ दिया। गत दिनों कोझिकोड में निपाह वायरस से पीडि़त दो भाइयों को बचाने में वायरस की चपेट में आने से गत रविवार को उसकी मौत हो गई। लिनी पुथुसेरी केरल के पेरा में नर्स के रूप में काम करती थी, पति साज़ीश आखिरी वक्त में लिनी से मिल नहीं पाए।
मौत से पहले लिनी का लिखा भावुक पत्र हर किसी को रुला गया। ठीक इसी तरह उदयपुर में भी कई लिनी हैं, जो अपनी जान पर खेलकर मरीजों की जान बचाने में जुटे हुए हैं। यहां कहानी ऐसे कार्मिकों की है, जो रोज जिंदगी और मौत को करीब से देखते हैं।
वे आप हम में से एक हैं, लेकिन खास बात ये कि वह यदि अपने काम में जरा सी लापरवाही बरत जाए तो किसी को अपने जीवन से हाथ धोना पड़े। ये नर्सेजकर्मी दूसरों का जीवन बचाने वाले वे चेहरे हैं, जो जान बचाकर भी अनजान हैं। पत्रिका टीम ने ऐसे ही नर्सेज से बातचीत की जो लम्बे समय से पीडि़त मानवता की सेवा में जुटे हैं।
अगर कोई यह कहें कि मरीज नहीं बचा तो पूरी जिम्मेदारी आपकी रहेगी। क्या करेंगे? कौन जोखिम उठाए? ऐसी ही एक चुनौती मिल गई। ना, कहने की बजाय उसे स्वीकार किया और एक बालिका को ठीक कर भेजा। आज भी वह घटना मेरे जेहन में है।
Updated on:
29 May 2018 01:08 pm
Published on:
29 May 2018 01:06 pm
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