
उमेश मेनारिया /मेनार. बर्ड विलेज मेनार में सूखते धण्ड तालाब में दम तोड़ती मछलियों को नया जीवन मिल गया है। गांव के युवाओं की पहल और विभाग की मदद से मछलियों को ब्रह्मसागर में शिफ्ट किया गया है। वन विभाग और मत्स्य अनुसंधान निदेशालय की मौजूदगी में मछलियों को ब्रह्मसागर तालाब में शिफ्ट किया। एसीएफ शैतानसिंह देवड़ा, सज्जनगढ़ वनाधिकारी गणेश गोटवाल के साथ टीम धण्ड तालाब पहुंची। टीम ने सूखते खड्डों से मछलियों को शिफ्ट करने का काम शुरू किया।
अधिकारियों, पक्षी मित्रों, ग्रामीणों की मौजूदगी में कर्मचारियों ने जाल डालकर मछलियों को निकाल, ड्रमों में लिया। ड्रमों को वाहन से 1 किलोमीटर दूर ब्रह्मसागर तालाब में शिफ्ट किया। करीब 5 क्विंटल मछलियों को 5 राउंड में शिफ्ट किया। वन्य जीव विशेषज्ञ डॉ. सुनील दुबे ने बताया कि धण्ड तालाब में एक-डेढ़ फीट गहराई से भी कम पानी बचा है।
मटमेले पानी में आक्सीजन की कमी हो गई है। मछलियों को यहां से शिफ्ट नहीं किया जाता तो कुछ ही दिनों में दम तोड़ देती। इस दौरान वन विभाग उडऩ दस्ते में लालसिंह पंवार, द्वारिका प्रसाद शर्मा, मांगीलाल वैष्णव, उपसरपंच शंकरलाल मेनारिया, भूरालाल मेरावत, पक्षी मित्र धर्मेन्द्र दोलावत, दिनेश पुण्दड़ोत, राधेश्याम पांचावत, कालूलाल दोलावत, किरतेश भलावत मौजूद थे।
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पत्रिका ने दिखाई राह
धण्ड तालाब में पानी सूखने के बाद ऑक्सीजन की कमी से मर रही मछलियों का मामला राजस्थान पत्रिका ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। आठ मई को ‘बर्ड वीलेज के सूखते तालाब में मर रही मछलियां’ शीर्षक से खबर प्रकाशन के बाद शोधार्थी दर्शना दवे मेनार पहुंची। पानी के नमूने लिए, वहीं मीटर से पानी में ऑक्सीजन की मात्रा नापी। जांच के दौरान पाया कि पानी में 1.9 मिलीग्राम ऑक्सीजन प्रति लीटर दर्ज की गई थी।
इसके बाद मुख्य वन संरक्षक राहुल भटनागर ने टीम भेजी, जिसमें फिशरीज के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर ने जांच में पाया कि मछलियों की मौत पानी और ऑक्सीजन की कमी से हो रही है। गांव के युवाओं ने सरोकार की पहल करते हुए टैंकर डलवाए, वहीं रविवार को विशेषज्ञों की टीम पहुंची। टीम ने मछलियों को शिफ्ट करने का निर्णय लिया।
Published on:
15 May 2018 12:12 pm
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