
उदयपुर. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उदयपुर आने के राजनीतिक रूप से कई मायने हैं। एक तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इच्छा और दूसरा गुजरात चुनाव। उदयपुर में बनाए गए महाराणा प्रताप गौरव केन्द्र का उद्घाटन संघ मोदी से करवाना चाहता था, लेकिन मोदी के नहीं आने पर संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने इसका उद्घाटन किया। इसके बाद से ही मोदी के मन की इच्छा थी कि वे इस केन्द्र का अवलोकन करें।
मोदी हजारों करोड़ की सडक़ परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास के साथ ही इसका अवलोकन करेंगे। साथ ही इस साल गुजरात मे होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भी उदयपुर का सहारा लिया जा रहा है। आखिर माना जाता है कि ये मेवाड़, जहां मोदी आ रहे हैं। भाजपा के लिए हमेशा लकी रहा है।
आजादी के बाद से करीब 15 साल पहले तक कांग्रेस का आदिवासी बैल्ट में एक छत्र राज रहा है। इन वर्षों में कांग्रेस का आधार इनमें कम हुआ और इसी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने फिर इन क्षेत्रों को टारगेट कर रखा है। पिछले दिनों कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बांसवाड़ा में किसानों की समस्याओं को लेकर बड़ी सभा की थी। इसे लेकर भाजपा में उथलपुथल मच गई और इसके बाद मोदी को उदयपुर बुलाकर कांग्रेस के प्रयासों को धोना है।
उधर, जिन परियोजनाओं का लोकार्पण किया जा रहा है वह सीधे गुजरात से जुड़ते हैं। गुजरात के चुनाव मोदी के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। किसी भी सूरत में मोदी गुजरात चुनाव में फिर भाजपा की सत्ता चाहते हैं। गुजरात और राजस्थान के ताल्लुक काफी नजदीकी हैं यानी राजस्थान के पांच जिलों की सीमा किसी न किसी रूप में गुजरात से जुड़ती हैं और इनमें गुजरात का काफी असर भी देखने को मिलता है। बड़ी संख्या में इन जिलों के लोग रोजगार के लिए गुजरात का रुख करते हैं।
संघ ने अपने बूते बनाया गौरव केन्द्र
गौरव केन्द्र की स्थापना संघ ने अपने बूते पर की है। इसमें महाराणा प्रताप के शौर्य और गौरव से जुड़ी प्रत्येक याद को संजोया गया है। देश में अपनी तरह का यह अनूठा केन्द्र है। संघ प्रताप को आदर्श मानती है और मेवाड़ में प्रताप की कई जगह पूजा भी होती है। आदिवासी बैल्ट में प्रताप को बहुत आदर सम्मान के साथ देखा जाता है। ऐसे में मोदी इस यात्रा को लेकर कोई मौका भुनाने में कसर नहीं छोडऩा चाहते हैं।
राजस्थान में चुनावी बिगुल
यात्रा के जरिए भाजपा अगले साल राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव का भी बिगुल बजा देगी। राजस्थान में राजनीतिक हलकों और पार्टियों में यह मान्यता है कि मेवाड़ से जिस पार्टी को ज्यादा सीट मिलती है, उसी की सरकार बनती है। इसी को ध्यान में रखते हुए पिछले तीन में से दो विधानसभा चुनावों में भाजपा ने मेवाड की धरती से शंखनाद किया और दोनों ही बार भाजपा की सरकार बनी।
2003 में चारभुजा नाथ से परिवर्तन यात्रा और 2013 में चारभुजानाथ से सुराज यात्रा निकाली। 2003 में भाजपा को इस संभाग की 30 में से 21 सीटें मिली और 2013 में कुल 28 (परिसीमन के कारण दो सीटें विलय हो गई) में से 25 सीठें मिली। इसके उलट 2008 में चुनावी शंखनाद मेवाड़ से नहीं किया और भाजपा को सत्ता से दूर होना पड़ा। भाजपा को सिर्फ छह सीटें ही मिली।
Published on:
29 Aug 2017 09:46 am
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