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गैरजिम्मेदारी ने बढ़ाई गर्भवती की पीड़ा

locationउदयपुरPublished: Oct 16, 2019 01:10:05 am

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

prathmik swasthya kendra प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बछार में नहीं एंबुलेंस सुविधा, हाई रिस्क प्रसव को लेकर चिकित्सा विभाग की अनदेखी

गैरजिम्मेदारी ने बढ़ाई गर्भवती की पीड़ा

गैरजिम्मेदारी ने बढ़ाई गर्भवती की पीड़ा

उदयपुर/ झाड़ोल. prathmik swasthya kendra कहने को तो गिर्वा उपखण्ड क्षेत्र की बछार ग्राम पंचायत मुख्यालय पर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ‘आदर्शÓ की श्रेणी में शामिल है। लेकिन, मरीज सुविधा के नाम पर केंद्र के पास अपनी खुद की एंबुलेंस नहीं है। स्त्री रोग विशेषज्ञ के अभाव में पीएचसी में गर्भवती महिलाओं के प्रसव के दौरान कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है तो हाई रिस्क प्रेगनेंसी में गर्भवती महिलाओं मुख्यालय स्थित चिकित्सालय तक पहुंचाने के लिए यहां कोई माध्यम नहीं है। दर्द से कराहती महिला को चिकित्सालय पहुंचाने के लिए परिजनों को निजी वाहन धारकों का मोहताज होना पड़ता है। इस खामी में कई बार देर होने से जच्चा और बच्चा को तकलीफ आने की आशंकाएं बढ़ जाती है। आदिवासी बाहुल्य इलाके में सरकारी उदासीनता से गरीब की जेब पर भी अतिरिक्त भार पड़ रहा है। हालांकि, वर्तमान में सेवाएं दे रहे चिकित्सक उनकी ड्यूटी को लेकर जिम्मेदार हैं। वह रात के समय भी मुख्यालय पर ही रहते हैं।
एक नजर में
केंद्र का नाम: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, बछार
शुभारंभ तिथि: 16 सितम्बर 2013
आदर्श की घोषणा: 11 जुलाई 2017
पेराफेरी वाले दुरस्थ गांव: पीपलिया (करीब 20 किमी दूर)
पेराफेरी के गांव: पीपलिया, केली, कालीवास, करनाली, डोडावली, लाम्बाधावडा, वान्ल्दरफला, बछार, मादड़ी, सुराणा, डोडावली, नालफला, नयावास।
फार्मासिस्ट का संकट
खामियां स्त्री रोग विशेषज्ञ या फिर एंबुलेंस तक ही सीमित नहीं है। मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के तहत दवा वितरण को लेकर यहां जिम्मेदार फार्मासिस्ट ही नहीं है। मजबूरी में चिकित्सक या फिर नॢसंग स्टाफ इस ड्यूटी को भी निभा रहा है। कई मौकों पर डॉ. हेमसिंह खुद दवाई लिख रहे हैं। वहीं मेलनर्स के नाम पर ही एक पद रिक्त चल रहा है। लैब टेक्निशियन के रिक्त पद के चलते जांच कार्य भी प्रभावित है।
नेटवर्क भी रूठा
पीएचसी स्थल की सबसे बड़ी समस्या वहां नहीं मिलने वाला मोबाइल नेटवक भी है। ऐसे में चिकित्सा स्टाफ और परिजनों की ओर से लाख प्रयास के बावजूद नि:शुल्क वाहन सुविधा 104 और 108 से संपर्क नहीं हो पाता। मजबूरी में निजी वाहनों के अलावा परिजनों के पास अन्य कोई विकल्प नहीं होता।
बजट के साथ वाहन
मेरे स्तर पर स्थानीय विधायक से अपील की गई है। विधायक कोष निधि में बजट मिलते ही रोगी वाहन 104 उपलब्ध हो जाएगी। prathmik swasthya kendra पीएचसी की बाउण्ड्री निर्माण को लेकर भी प्रयास जारी हैं।
डॉ. हेमसिंह धायबाई, चिकित्सा अधिकारी, पीएचसी बछार

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