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आनन्द भवन होटल को निजी हाथों में सौंपने का मामला : भले ही घाटे में हो, सौदा करना विकल्प नहीं, सुधार करे सरकार

जयपुर के खासाकोठी और उदयपुर के आनन्द भवन होटल को निजी हाथों में सौंपने का विरोध बढ़ रहा है।

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hotel anand bhawan udaipur

जयपुर/उदयपुर. जयपुर के खासाकोठी और उदयपुर के आनन्द भवन होटल को निजी हाथों में सौंपने का विरोध बढ़ रहा है। आमजन के साथ कांग्रेस और खुद भाजपा के भी जन प्रतिनिधियों ने सरकार के फैसले का विरोध किया है। ज्यादातर जन प्रतिनिधियों का कहना है कि जनता की सम्पत्तियों की सौदेबाजी करना शर्मनाक है। कोई भी सम्पत्ति घाटे में हो, उसे बेचना या निजी हाथों में सौंपना विकल्प नहीं है। सरकार को चाहिए कि सौदा करने की बजाय ऐसी सम्पत्तियों की सार-संभाल बढ़ाए। उन्हें लाभ में लाने का उपाय करे। इसमें परेशानी आ रही हो तो एकतरफा फैसला की बजाय जनता से राय ले।


जन प्रतिनिधियों ने कहा कि दोनों होटलों को निजी हाथों में सौंपने की बजाय जनता के लिए उपयोग में लाना चाहिए।

संरक्षित हो विरासत
सार्वजनिक सम्पत्ति को बेचना शर्मनाक है। आनंद भवन को सर्किट हाउस में तब्दील कर विरासत को संरक्षित किया जाना चाहिए।
रघुवीर सिंह मीणा, पूर्व सांसद


आनंद भवन या किसी भी सार्वजनिक सम्पत्ति को खुर्द-बुर्द करने का किसी को अधिकार नहीं है। सरकार पहले ही सार्वजनिक सम्पत्तियों को कौडिय़ों में बेच चुकी है। आनंद भवन को बेचने की मंशा निंदनीय है। यह ऐतिहासिक धरोहर है, जिसे निजी हाथों में सौंपना ठीक नहीं है।
मांगीलाल जोशी, वरिष्ठ भाजपा नेता व समन्वयक भैरोसिंह शेखावत मंच, उदयपुर

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आनंद भवन हमारी विरासत है। इसे बेचने की जब-जब बात आई, हमने विरोध किया। दोनों होटलों को बेचने का निर्णय विरासत और राज्य के साथ अन्याय होगा।

डॉ. गिरिजा व्यास, पूर्व केन्द्रीय मंत्री

सरकारी संपत्तियों को जिस तरीके से निजी हाथों में सौंपने की तैयारी की जा रही है, वह जनहितों के साथ कुठाराघात है। यह गंभीर चिंता का विषय है। जनता की संपत्ति को बेचने का सरकार को हक नहीं है। इससे होटल के कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे।

महेश जोशी, पूर्व सांसद एवं पूर्व उपमुख्य सचेतक