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न कोई शक, ना झगड़ा… फिर क्यूं उठाया जवान ने यह कदम

- पत्नी की हत्या के बाद आरएसी जवान के खुदकुशी करने का मामला- पोस्टमार्टम के बाद दोनों शव साथ ले गए परिजन, नहीं दी कोई रिपोर्ट

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उदयपुर . देबारी स्थित आरएसी की 12वीं बटालियन के सरकारी क्वार्टर में सर्विस राइफल से पत्नी हत्या कर खुद को गोली मार आत्महत्या करने वाले जवान की मन:स्थिति एवं उसके इस खौफनाक कदम उठाने का कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है। सोमवार को दोनों की पक्षों के परिजनों से बातचीत में घरेलू विवाद के अलावा एेसी कोई बात सामने नहीं आई जिससे यह नौबत आए। दोनों पक्षों ने कोई रिपोर्ट नहीं दी तो पुलिस ने पोस्टमार्टम करा शव उनके सुपुर्द कर दिए।

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गौरतलब है कि रविवार को डीगल थाना बैरी झज्जर, हरियाणा हाल उदयपुर निवासी जवान मंजीत कुमार पुत्र दलेलसिंह जाट (28) ने अपनी सर्विस रिवाल्वर से पत्नी बालोठ, रोहतक निवासी मीनू (25) पर फायर कर स्वयं को गोली मार दी थी। सोमवार दोपहर तक परिजनों के पहुंचने पर पुलिस ने दोनों शवों का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाया। चिकित्सकों के अनुसार मनजीत को गोली ठोड़ी में लगी और सिर से होते हुए बाहर निकल गई जिससे पूरा सिर बिखर गया, वहीं मीनू को गोली सीने में लगी और पीठ से बाहर निकली। पुलिस ने मीनू का शव उसके पिता रामकुमार व मनजीत का शव उसके भाई नरेन्द्र कुमार के सुपुर्द किया। दोनों शव देखकर एकबारगी परिजनों की आंखें छलक गई। परिजनों दोनों शव को एक साथ लेकर रवाना हुए।

मंजीत की दूसरी पत्नी थी मीनू

परिजनों से बातचीत के बाद सीआई डॉ. हनवंतसिंह ने बताया कि मीनू मंजीत की दूसरी पत्नी थी। पूर्व पत्नी से अनबन होने पर उनके बीच तलाक हो गया था। उसके बाद वर्ष 2007 में उसने मीनू से विवाह किया था।

- मंजीत चार भाइयों में सबसे छोटा भाई था। वह घर में कमाने वाला अकेला ही था। उसके दो बड़े भाई नरेन्द्र व प्रवीण गांव में ही खेतीबाड़ी करते हैं जबकि पत्नी के हमनाम एक भाई मीनू की पूर्व में मौत हो गई। मंजीत के दो बहनें सुनीता व बबीता भी हैं।
- मंजीत की वर्ष 2003 में आरएसी बटालियन में नौकरी लग गई थी। वह बटालियन के साथ बाहर ही रहता था, जबकि उसकी पत्नी मीनू गांव में ससुराल में रहती थी। ग्रामीण परिवेश की महिला होने से उसके पास कोई मोबाइल भी नहीं था। वह गांव में सास-ससुर का खेतीबाड़ी में हाथ बंटाती थी।

- मंजीत की पोस्ंिटग के दौरान वह तीन से चार बार ही उसके साथ कुछ समय के लिए आई थी। बटालियन के 17 सितम्बर को उदयपुर आने के बाद मंजीत परिजनों को खाने की समस्या बताकर मीनू को अपने साथ उदयपुर लाया था। मीनू 23 सितम्बर को बच्चों के साथ यहां आई थी।

- पुलिस ने बताया कि गांव में ससुर बीमार है तथा सास से मीनू की नोंकझोंक की बात सामने आई, दोनों के बनती नहीं थी।

- मीनू के पिता रामकुमार हरियाणा में ही दवा कंपनी में नौकरी करते है जबकि मां मनोहरी देवी घरेलू महिला है। मीनू ने पीहर पक्ष को भी लड़ाई-झगड़े व तनाव की कोई बात नहीं बताई जिससे परिजन को कोई शक हो। उसके पिता ने रिपोर्ट देने से इनकार किया है। उनका कहना है कि मारने वाला चला गया अब किसे क्या कहे।

आखिर कमेंट किसने हटाए, जांच जारी
पुलिस ने बताया कि मंजीत ने घटना से पूर्व अपने भानजे अमित को कॉल लगाया। महज 30 सेंकड में उसने कोई वार्ता नहीं की। बाद में अमित व उसकी मां ने मंजीत को फोन लगाया, तब इधर से भी कोई जवाब नहीं मिला। मृत्यु पूर्व मंजीत ने फेसबुक पर आत्महत्या के बारे में लिखा था, चार लोगों ने कमेंट भी किया। घटना के बाद अचानक कमेंट हट गए। पुलिस का कहना है कि मोबाइल को उन्हें जब्त किया है। मंजीत की कॉल डिटेल व फेसबुक कमेंट हटाने के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।


तनाव के पीछे दूरी तो नहीं थी

पुलिस का कहना है कि हरियाणा में कई लोग पुलिस, आर्मी व अन्य सर्विस में है। अधिकतर लोग अपने परिजनों से दूर है। बताया जाता है कि महिलाओं को गांव में ही रखा जाता है। मीनू भी शादी के बाद से गांव में ही थी जबकि मंजीत अधिकतर समय ड्यूटी पर अलग-अलग जगह पर रहता था। पत्नी व बच्चों से दूरी को तनाव का मुख्य कारण बताया जा रहा है। पुलिस ने पास के क्वार्टर में रहने वालों से पूछताछ की लेकिन लड़ाई-झगडे़ की कोई बात सामने नहीं आई। बच्चों ने भी लड़ाई से इनकार किया है।

बच्चों की रूलाई से हर कोई द्रवित
घटना के बाद मंजीत व मीनू के बच्चे अनाथ हो गए। ढाई साल की बच्ची हादसे के बाद भी वहां अपनी मां को पुकारती रही। रातभर पड़ोसियों ने बच्चों को संभाला, सुबह जब परिजन पहुंचते जब भी बच्चे मां को पुकारते रहे। बच्चों की पुकार से हर कोई द्रवित हो उठा। परिजन बच्चों को अपने साथ गांव ले गए।


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