
उदयपुर . राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल (आरपीसीबी) ने प्रदेश भर के जलाशयों सेके नमूने लिए हैं। इनकी आरपीसीबी लैब में जांच की जा रही है जिसकी रिपोर्ट आने के बाद इनके प्रदूषण का सच सामने आ सकेगा। जलाशयों में प्रतिमाओं और तजियों के विसर्जन से प्रदूषण बढऩे का खतरा बना रहता है। विभाग के अनुसार करीब 15 दिन में इन सैम्पलों की जांच कर इनकी रिपोर्ट केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को भेज दी जाएगी। आरपीसीबी ने जलाशयों में प्रतिमाओं और तजियों के विसर्जन से 1 दिन पहले, विसर्जन के दिन और उसके 7 दिन बाद के अलग-अलग नमूने लिए हैं।
यह होता है नुकसान
प्रतिमाओं के निर्माण में हानिकारक केमिकल और कलर्स का उपयोग किया जाता है। प्रतिमाओं को पानी में विसर्जित करने से पानी में प्रदूषण बढऩे के साथ ही ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। ऑक्सीजन स्तर कम होने से जलीय जीवों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
झीलों की नगरी में सराहनीय पहल
उदयपुर में झीलों को प्रदूषण से बचाने के लिए सराहनीय पहल शुरू की है। मां दुर्गा व गणेश प्रतिमाओं और तजियों को जलाशयों पर ले जाकर प्रतीकात्मक विसर्जन किया जाता है। बाद में इन्हें नगर निगम की ओर से बनाए गए कुंडों में विसर्जित किया जाता है।
उदयपुर संभाग के प्रमुख जलाशयों से नमूने एकत्र कर लिए गए हैं। इनकी जांच कर रिपोर्ट सीपीसीबी को भेज दी जाएगी। विभाग प्रदूषण रोकने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहा है।
बीआर. पंवार, क्षेत्रीय अधिकारी आरपीसीबी उदयपुर
इधर, मिशन के तहत हुई झीलों की सफाई
उदयपुर. सर रिचन सर्विस प्राइवेट लिमिटेड की ओर से आयोजित स्वच्छ भारत मिशन के पहले अभियान के तहत गांधी जयंती पर फतहसागर, स्वरूप सागर, उपला तालाब आदि झीलों, सुखाडिय़ा सर्कल, शास्त्री सर्कल पर साफ-सफाई की गई। सर रिचन सर्विस की ओर से जनता से स्वस्थ और स्वच्छ राष्ट्र निर्माण की दिशा में आगे बढऩे का संदेश दिया। कम्पनी की ओर से माह में दो बार पब्लिक पैलेस और झीलों की सफाई का जिम्मा लिया गया
Published on:
04 Oct 2017 05:45 pm
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