उदयपुर तब और अब
चुनावों की दृष्टि से काफी बदल गया है। परिसीमन के बाद उदयपुर जिले में अब भले ही आठ विधानसभा सीटें रह गई हैं, लेकिन आजादी के बाद पहली विधानसभा के लिए 1952 में हुए पहले चुनाव के लिए कुल 10 विधानसभा क्षेत्रों में 13 विधायकों के स्थान निर्धारित किए गए थे। इनमें सात विधानसभा क्षेत्र एक सदस्यीय और तीन विधानसभा क्षेत्र द्वि सदस्यीय थे। द्वि सदस्यीय क्षेत्रों में सायरा, सलूम्बर और राजसमंद-रेलमगरा थे। तेरह में से भी दो उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए तो मतदान 11 सीटों के लिए ही हुआ।
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यह थी तब की स्थिति
इन चुनावों में सामान्य सीटें 10 और 3 सीटें आरक्षित थीं।
अनुसूचित जनजाति की दो सीटें सायरा, सराड़ा-सलूम्बर थीं।
अनुसूचित जाति की एक राजसमंद-रेलमगरा सीट थी।
मतदान : स्थिति
1952 में कुल मतदाता- 6 लाख 6 हजार 626
यह थी तब की स्थिति
इन चुनावों में सामान्य सीटें 10 और 3 सीटें आरक्षित थीं।
अनुसूचित जनजाति की दो सीटें सायरा, सराड़ा-सलूम्बर थीं।
अनुसूचित जाति की एक राजसमंद-रेलमगरा सीट थी।
मतदान : स्थिति
1952 में कुल मतदाता- 6 लाख 6 हजार 626
उस समय कुल मतदान हुआ-
1 लाख 65 हजार 973
मतदान प्रतिशत-27.4 रहा।
इन क्षेत्रों में चुनाव लडऩे के लिए 45 लोग मैदान में उतरे थे।
1 लाख 65 हजार 973
मतदान प्रतिशत-27.4 रहा।
इन क्षेत्रों में चुनाव लडऩे के लिए 45 लोग मैदान में उतरे थे।