झीलों की मूल सीमाओं को बहाल करना जरूरी
उदयपुरPublished: Jan 07, 2019 02:20:08 am
तीस से चालीस प्रतिशत छोटी कर दी गई है पिछोला एवं फतहसागर झीले
झीलों की मूल सीमाओं को बहाल करना जरूरी
उदयपुर . उदयपुर की झीलों की मूल सीमाओं को पुनस्थापित करने से ही उदयपुर का झील तंत्र बचेगा। प्रशासन इनकी सीमाओं का पुनर्निरीक्षण करवाते हुए वर्ष 1998 पूर्व की स्थिति को कायम करवाए।
यह जरूरत रविवार को झील संवाद में शहर के बुद्धिजीवियों एवं झीलप्रेमियों ने व्यक्त की। संवाद में झील संरक्षण समिति के डॉ तेज राजदान एवं डॉ अनिल मेहता ने कहा कि पिछोला झील का जल फैलाव क्षेत्र लगभग सात वर्ग किलोमीटर एवं फतहसागर का जल भराव क्षेत्र साढ़े चार वर्ग किलोमीटर था। वर्ष 2010 में इन झीलों के जल भराव क्षेत्र को घटाकर क्रमश: चालीस व तीस प्रतिशत कम कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि झीलों को उनके मूल स्वरूप में लाने व भविष्य के लिए उन्हें बचाने के लिए इनकी अधिकतम भराव तल तक की सीमा को सुरक्षित करना अत्यंत जरूरी है।
झील विकास प्राधिकरण के सदस्य तेजशंकर पालीवाल ने कहा कि झीलों के किनारों को इस प्रकार नष्ट कर देने से देशी प्रवासी पक्षियों के आवास व प्रजनन के क्षेत्र कम हो गए है एवं झीलों के पारिस्थितिक तंत्र को गंभीर क्षति पंहुची है। गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नन्दकिशोर शर्मा ने कहा कि जिस प्रकार किसी पेड़ के लिए उसकी छाल जरूरी है उसी प्रकार झील के लिए उसकी किनारे की पट्टी यानी शोरलाइन जरूरी है। इसके अभाव में झील की उम्र कम हो जाती है। संवाद के बाद फतहसागर झील के अलकापुरी छोर पर श्रमदान कर कचरे व गंदगी को हटाया गया। श्रमदान में दिगंबर सिंह, मोहनसिंह चौहान, रामलाल गहलोत, तेज शंकर पालीवाल, नन्द किशोर शर्मा आदि ने हिस्सा लिया।