——- ये है पर्ची का पूरा खेल ये है असली पर्ची: टेंडर की शर्तों के अनुरूप जो पर्ची महाराणा भूपाल हॉस्पिटल में चलाई जा रही है, उसमें पहले चिकित्सालय का पूरा नाम, दिनांक, वाहन संख्या के लिए स्थान है, साथ ही पर्ची का क्रमांक लिखा गया है। दूसरी ओर आने व जाने का समय का स्थान है। इसके अलावा इस पर नियमावली लिखी हुई है, जिसमें – प्रति विजिट तीन घंटे तक पांच रुपए टू विलर। – प्रति विजिट तीन घंटे तक 20 रुपए चार पहिया। – प्रति दिन के पास के लिए टू विलर से 30 रुपए होगा। – टू विलर, तीन घंटे बाद 20 रुपए देय होगा। – फोर विलर तीन घंटे बाद 30 रुपए देय होगा। – गाड़ी में रखे सामान की जिम्मेदारी स्वयं की होगी। – कानूनी कार्रवाई के लिए गाड़ी का इंश्योरेंस जरूरी है।
——– ये है नकली पर्ची: इस पर्ची पर हॉस्पिटल का नाम गलत अंकित है। इसमें रा.मा.भू चिकित्सालय लिखा गया है, ताकि बाद में कोई किसी अधिकारी को बताकर ये स्पष्ट नहीं कर सके कि ये यहां पर पार्र्किंग में दी गई पर्ची है। इसमें टू विलर, स्कूटर, मोटरसाइकिल व मोपेड के लिए दस रुपए की पर्ची बनाई गई है। इसमें पार्र्किंग स्टेंड लिखा है, टोकन संख्या, वाहन संख्या, समय और दिनांक लिखने के लिए खाली स्थान छोड़ा गया है।
—– ऐसे हो रही गड़बड़ मरीज को देखने आने वालों से लेकर मरीज के साथ आने वालों में से ज्यादातर तिमारदार बहुत कम समय तक ही हॉस्पिटल में रुकते हैं, ऐसे में तीन घंटे के बीच उन्हें नियमानुसार केवल पांच रुपए ही देने होते हैं, जबकि इस नकली पर्ची के माध्यम से उनसे दस रुपए लिए जा रहे हैं। पत्रिका की टीम जब पार्र्किंगकर्मी से बात करने पहुंची तो पता चला कि वह सभी को ये ही नकली पर्चियां बांट रहा है। पूछने पर उसने बताया कि ये उसे ठेकेदार ने दी है। इस पर उसका कहना था कि तीन घंटे बाद लोग ज्यादा पैसे नहीं देते, इसलिए उससे इस पर्ची से वह कम राशि ले रहा है।
——- 26 लाख का ठेका-भैरूनाथ सर्विसेज का पार्र्किंग का 26 लाख रुपए का ठेका है। अगस्त 2018 से भैरूनाथ सर्विसेज को ये पार्र्किंग का काम दिया गया है। अधिकांश ऐसी जगहों पर पार्र्किंग हो रही है, जहां सडक़ है, या पार्र्किंग के लिए ये स्थान तय ही नहीं है। ऐसे में आने-जाने वालों को परेशानी होती है। सभी पार्र्किंगकर्मी तय ड्रेस में नहीं रहते, ऐसे में पता ही नहीं चलता कि वे यहां क काम कर रहे हैं।
—– एक शिकायत पर गया था कलक्ट्रेट किसी ने कुछ दिन पहले ज्यादा राशि लेने की एडीएम से शिकायत की थी, उस समय वहां गया था। वह 2005 की दरों पर शिकायत कर रहे थे, जबकि अब दर बढ़ी है। पार्र्किंग की जगह मुझे नहीं दी गई, इसलिए गाडिय़ां सडक़ किनारे खड़ी करनी पड़ती हैं। जहां काम छह आदमियों से होता था, मैंने अब 35 आदमी लगा रखे हैं, प्राइवेट एम्बुलेंस सहित यहां करीब 80 वाहन ऐसे हैं जो कभी पैसा नहीं देते। पार्र्किंग वालों से मारपीट भी कर रहे हैं। मैंने इसे लेकर करीब 20 बार चिकित्सालय प्रशासन को पत्र लिखे हैं।
कमलेश्वर सोलंकी, ठेकेदार —कुछ शिकायतें मिली हैं, जिन्हें दूर करने के लिए काम कर रहे हैं, ठेकेदार को पहले भी व्यवस्था सुधारने के लिए कहा गया है, तय राशि से ज्यादा राशि या अन्य पर्ची किसी हाल में नहीं चलाई जा सकती।
डॉ लाखन पोसवाल, अधीक्षक महाराणा भूपाल हॉस्पिटल उदयपुर