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Sohrabuddin-Tulsi Encounter Case : सोहराबुद्दीन का हुआ था फर्जी एनकाउंटर, तुलसी था गवाह

Sohrabuddin-Tulsi Encounter Case तुलसी के भांजे के दोस्त ने दिए बयान, कहा- तुलसी ने जेल में दी थी जानकारी, पेशी पर साथ जाने के दौरान पुलिस ने उन्हें एनडीपीएस में कर लिया था गिरफ्तार

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Sohrabuddin-Tulsi Encounter Case : कोर्ट में डिब्बा खोला तो निकली चार गोलियां, पहले बताई थी दो

मो. इल‍ियास/उदयपुर. सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर मामले में सोमवार को मुंबई की सीबीआई स्पेशल कोर्ट में तुलसी प्रजापति के भांजे कुंदन के दोस्त विमल के बयान हुए। विमल ने कोर्ट में बताया कि वर्ष 2006 से 07 के बीच वह उदयपुर जेल में बंद था। उस समय वह दोस्त के मामा तुलसी से मिला था। तुलसी ने उसे बताया कि वह सोहराबुद्दीन केस का गवाह है, उसका फर्जी एनकाउंटर हुआ था, अब उसकी जान को खतरा है। गवाह विमल पिछले डेढ़ माह से इंदौर सेंट्रल जेल में बंद था। उसे पुलिस गार्ड जेल से मुंबई कोर्ट लेकर पहुंचे थे।

विमल ने कोर्ट में दिए बयानों में बताया कि वह दोस्त कुंदन के साथ उदयपुर जेल में उसके मामा तुलसी से मिलने गया था। तुलसी ने उन्हें उसी दिन शाम को रेलवे स्टेशन बुलाकर अहमदाबाद कोर्ट पेशी पर टे्रन में साथ चलने के लिए कहा था। हम उसी दिन शाम को रेलवे स्टेशन पहुंचे तो वहां तुलसी ने बताया था कि उसकी जान को खतरा है। ट्रेन में चढ़ते उससे पहले ही सूरजपोल थाना पुलिस ने हमें पकड़ लिया। पुलिस वहां से दोनों को अलग-अलग थाने ले गई और कुछ दिन अवैध हिरासत में रखने के बाद सलूम्बर में एनडीपीएस एक्ट में गिरफ्तार किया था। इसके बाद हम उदयपुर जेल में डेढ़ साल तक बंद रहे।

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अलग-अलग बैरक में रखा था दोनों को

विमल ने बताया कि हमें बैरक नम्बर 15 में रखा गया था, जबकि तुलसी बैरक नम्बर 14 में था। तुलसी ने जेल में हमें बताया कि सोहराबुद्दीन का फर्जी एनकाउंटर किया है, वह उसका गवाह है। ऐसे में उसकी जान को खतरा है। हम जेल में थे, तब हमें तुलसी के एनकाउंटर होने का पता चला। उसके बाद नौ माह बाद हमारी जेल से जमानत होने पर हम बाहर आ गए।


उदयपुर के गवाह के भी हुए थे बयान

कोर्ट में दूसरे गवाह उदयपुर के ओमप्रकाश भावसार के बयान हुए। भावसार ने कोर्ट में बताया कि फरवरी, 2004 में उसका महाकालेश्वर मंदिर से स्कूटर चोरी हुआ था। अम्बामाता थाने में चोरी का मामला दर्ज करवाने के दो माह बाद पुलिस ने स्कूटर बरामद किया था। थाने से सूचना के बाद कोर्ट से स्कूटर प्राप्त किया था। सरकारी वकील के पूछने पर भावसार ने बताया कि जब थाने से स्कूटर प्राप्त किया था तब उस पर काफी धूल जमी थी और उस पर नम्बर प्लेट नहीं थी।