
Sohrabuddin-Tulsi Encounter Case : कोर्ट में डिब्बा खोला तो निकली चार गोलियां, पहले बताई थी दो
उदयपुर. बहुचर्चित सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर प्रकरण में मंगलवार को मुंबई की सीबीआई स्पेशल कोर्ट में हैदराबाद के तत्कालीन आरटीओ सत्यनारायण राव, तुलसी के शरीर के गोलियों की फर्द रिपोर्ट के संबंधी गवाह हरीश कुमार व सोहराब के साथ टाडा केस में साथ रहे सहअभियुक्त मुश्ताक अहमद के बयान हुए।
हरीश कुमार ने न्यायालय में बताया कि 28 दिसम्बर 2006 को वह अपने दोस्त गणेश के साथ किसी काम से थाने गया था, जहां पर पुलिस ने उनसे कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए थे। उसके सामने तुलसी के न तो कोई कपड़े सील हुए, न ही बुलेट्स सील हुई थी। मैंने इसे देखा भी नहीं था। दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाते हुए समय मुझे यह भी नहीं बताया गया कि किन कागजों पर हस्ताक्षर करवाए हैं। परिवादी का कहना है कि एक बार उसे पूछताछ के लिए अम्बाजी बुलाया गया था। सीबीआई ने हरीश को पक्षद्रोही घोषित कर दिया।
सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार तुलसी के कपड़े व बुलेट्स हॉस्पिटल में सीज की थी और उस समय हरीश अपने भतीजे को देखने हॉस्पिटल आया था। सीज करने की फर्द रिपोर्ट पर हरीश ने हस्ताक्षर करवाए थे।
साबरमती जेल में सोहराब की हुई थी पहचान
सोहराबुद्दीन के साथ टाडा केस में बंद रहे मुश्ताक अहमद ने बयानों में बताया कि वह उदयपुर में पिछले 12 वर्ष से मार्बल का काम कर रहा है। वर्ष 1992 से 94 तक वह शराब तस्करी मामले में साबरमती जेल में बंद था। वह लतीफ गैंग के लिए काम करता था। उसके खिलाफ टाडा में एक प्रकरण था जिसमें सोहराब सह अभियुक्त था। सोहराब से उसका जेल में ही परिचय हुआ था। उसकी जमानत के एक साल बाद सोहराब की जमानत हुई थी। एक बार सोहराब आजम के साथ उससे मिलने आया था। मुश्ताक का कहना था कि सोहराब उदयपुर में ही घर लेकर रहने लगा, वहां पर वह मार्बल व्यवसायियों को धमकाकर फिरौती का काम कर रहा था। मुश्ताक का कहना था कि इस काम में शामिल होने के लिए उसे भी कहा था लेकिन उसने मना कर दिया। सोहराब ने अहमदाबाद के नवरंगपुरा में भी फायरिंग करवाई थी। उसके बाद वह कभी उसके सम्पर्क में नहीं रहा। हमीद लाला हत्याकांड के बाद सोहराब, तुलसी व आजम वांछित थे तब पुलिस ने पूछताछ के लिए उसे एक बार बुलाया था।
गाड़ी नंबर भेजकर पूछा था रिकॉर्ड
हैदराबाद के तत्कालीन आरटीओ सत्यनारायण राव ने कोर्ट को बताया कि सीआईडी के डीएसपी जीएस पडेरिया ने पत्र भेजकर गाड़ी नम्बर एपी 12 जे 6364 का रिकॉर्ड पूछा था। जांच कर बताया कि यह नम्बर अभी तक किसी को अलॉट नहीं हुआ। गौरतलब है कि सीआईडी व सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार बताया गया था कि गुजरात एटीएस की जो टीम हैदराबाद गई थी, उसने वहां एक क्वालिस गाड़ी ली थी और उसकी नम्बर प्लेट बदली गई थी।
Published on:
04 Jul 2018 02:11 pm
बड़ी खबरें
View Allउदयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
