प्रदेश में सरकार पर बढ़ते कर्ज के मुख्य कारण
– लगातार भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी। – अनावश्यक अधिकारियों व नेताओं के दौरे।
– विभिन्न सरकारी कार्यों पर बेहिसाब खर्च। – खर्च के बाद उसकी माकूल समीक्षा नहीं।
– सरकारी साधनों का दुरुपयोग
– लगातार भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी। – अनावश्यक अधिकारियों व नेताओं के दौरे।
– विभिन्न सरकारी कार्यों पर बेहिसाब खर्च। – खर्च के बाद उसकी माकूल समीक्षा नहीं।
– सरकारी साधनों का दुरुपयोग
– लोकलुभावनी नीतियां, जैसे नि:शुल्क वस्तुओं, सामग्री व अन्य सुविधाओं पर राशि लुटाना। ——
ये है हाल वर्ष ऋण प्राप्त किया वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर शेष ऋण 2003-04 7,48,98.175 53,36,121.29 2004-05 6,77,319.02 60,13,440.31
2005-06 6,27,234.38 66,40,674.69
ये है हाल वर्ष ऋण प्राप्त किया वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर शेष ऋण 2003-04 7,48,98.175 53,36,121.29 2004-05 6,77,319.02 60,13,440.31
2005-06 6,27,234.38 66,40,674.69
2006-07 4,73,890.86 71,14,565.55
2007-08 5,99,222.22 77,13,787.77 2013-14 12,10,122.23 1,29,91,013.39 2014-15 17,69,838.17 1,47,60,851.56
2015-16 61,77,719.05 2,09,38,570.61 2016-17 45,61,584.57 2,55,00,155.18
2017-18 26,18,050.38 2,81,18,205.56 2018-19 28,20,300.07 3,09,38,505.63
(ऋण लाख में ) कुल बढ़ा हुआ ऋण: 2014 से 19 के बीच 1,91,57,614.47 लाख हो गया।
2007-08 5,99,222.22 77,13,787.77 2013-14 12,10,122.23 1,29,91,013.39 2014-15 17,69,838.17 1,47,60,851.56
2015-16 61,77,719.05 2,09,38,570.61 2016-17 45,61,584.57 2,55,00,155.18
2017-18 26,18,050.38 2,81,18,205.56 2018-19 28,20,300.07 3,09,38,505.63
(ऋण लाख में ) कुल बढ़ा हुआ ऋण: 2014 से 19 के बीच 1,91,57,614.47 लाख हो गया।
…… इसे तरह के कर्ज को एक्सटर्नल डेथ कहा जाता है। यदि जनता से ही पैसा लेकर काम किया जाए तो इसमें परेशानी नहीं है, लेकिन राज्य या देश से बाहर से ऋण लिया जाता है, वह एक तरह का सरकार पर बोझ होता है। आमतौर पर सरकार मंदी दूर करने के लिए ऋण का सहारा लेती है, इसमें यह बात अधिक महत्वपूर्ण है कि किस मद में सरकार ने कितना खर्च किया है, वह ज्यादा महत्वपूर्ण है। कई बार आरबीआई से कर्जा लिया जाता है, लेकिन हर बार यह संभव नहीं है, इसलिए सरकार विदेशों से कर्ज लेती है।
डॉ दीपा सोनी, असिस्टेंट प्रोफेसर अर्थशास्त्र एमएलएसयू
डॉ दीपा सोनी, असिस्टेंट प्रोफेसर अर्थशास्त्र एमएलएसयू