
महेंद्रसिंह राठौड़/भीण्डर. कस्बे को सालों बाद मिली तहसील की सौगात के क्रम में उपतहसील से तहसील कार्यालय के रुप में कार्यालय का नाम बदल गया। इसके साथ ही 40 वर्ष से जिस नाम के लिए संघर्ष किया जा रहा था, वह आखिर पूरा हो रहा है। राजस्व विभाग ने हाल ही में तहसीलदार की भी नियुक्ति कर दी, जो अप्रेल के प्रथम सप्ताह में पदभार ग्रहण करेंगे। इसके बाद तहसील कार्यालय यथावत संचालित होगा। बजट सत्र 2017 में 30 मार्च को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राज्य में 9 तहसील खोलने की घोषणा की, जिसमें भीण्डर भी शामिल था। उस दौरान भी लोगों में खुशी का माहौल था, लेकिन सभी को अधिसूचना का इंतजार था। अक्टूबर 2017 में सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए राजस्व विभाग को अधिकारी व कर्मचारियों को नियुक्ति करने के आदेश दे दिए थे। अब 22 मार्च को रतनलाल कुमावत को भीण्डर तहसीलदार नियुक्त करने के आदेश जारी किए। ऐसे में अगले माह से तहसील कार्यालय का विधिवत संचालन शुरू हो जाएगा।
तहसील बनाने का सफर
भीण्डर को वर्ष 1959 में मिली उपतहसील को 40 वर्षों के लम्बे संघर्ष के बाद वर्ष 2017 में तहसील का तमगा मिला है। तहसील के लिए सबसे ज्यादा मेहनत भीण्डर तहसील संघर्ष समिति के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की ओर से की गई। इन्होंने दिन-रात एक करके तहसील का दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष किया। नतीजा यह रहा की विधायक रणधीरसिंह भीण्डर ने सरकार के समक्ष प्रबलता से मांग रखी और बजट सत्र 2017 में घोषणा हुई।
कानोड़ फिलहाल भीण्डर के तहत
भीण्डर तहसील की अधिसूचना जारी होने में कानोड़ उपतहसील को भीण्डर तहसील के अन्र्तगत रखा था। इस वर्ष की बजट घोषणा में कानोड़ को भी तहसील का दर्जा दे दिया गया, लेकिन कानोड़ तहसील की अधिसूचना जारी होने तक भीण्डर तहसील के अन्र्तगत ही रहेगा। राजस्व की ओर से तहसीलों को पुनर्गठन करने के बाद कानोड़ अलग से तहसील बन जाएगी। वर्ष 2014 में सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के दौरान भीण्डर के भैरव राउमावि परिसर में ब्लॉक स्तरीय जनसुनवाई में अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक जैन भीण्डर का तहसील नहीं होने पर आश्चर्य जताया था। नगरवासियों की ओर से तहसील की मांग रखी तो उन्होंने कहा कि ‘भीण्डर अभी तक तहसील मुख्यालय क्यों नहीं बना।’ उन्होंने भी मांग को पूरजोर से केबिनेट में रखने की बात कही।
Published on:
27 Mar 2018 01:04 pm
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